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हे भारत, तू कितना आगे बढ़ गया रे!

फंटूश
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(मधुरेश, पटना).
सुबह में मोबाइल का मोड बदल रहा था। साइलेंट से आउटडोर में। इन बाक्स में कई मेसेज थे-‘मैं हूं सलोनी सी लड़की। क्या मुझसे प्यार करोगे? चार्ज, प्रति मिनट 10 रुपया।’ दूसरा मेसेज था-‘हम बहुत मजेदार देश में रहते हैं, जहां एंबुलेंस और पुलिस से पहले पीज्जा वाली गाड़ी पहुंच जाती है; जहां कार लोन छह-सात प्रतिशत ब्याज पर मगर एजुकेशन लोन 10-12 फीसदी ब्याज पर मिलता है।’ फिलहाल मैं इन कंट्रास्ट के कारणों पर शोध के मोड में हूं। आपको नतीजे से भी वाकिफ कराऊंगा।
क्या वाकई हम बहुत आगे बढ़ गये हैं? रात में टीवी खूब ‘प्रगति’ दिखाता है। ‘हिन्दुस्तनवा’ व भारत ‘इंडिया’ बन रहा है? हर रात स्क्रीन सीन कमोवेश यही है। देखिये :-
‘ओहऽऽ, आह, वाओऽऽ ..!’ यह भारतीय कन्याओं की सिसकारी है। आन एयर है; लाइव है। कुछ दिन पहले एक चैनल दस कन्याओं को स्टेज पर बिठा मुंडों (लड़कों) का प्रोमो दिखा रहा था। प्रोग्राम, जस्ट लांच किया था। हां, तो कुड़ी को इनमें अपना मुंडा (पति) चुनना है। कई बालाओं की हंसी-भाव, चेहरे को भी पार कर गयी है; जुबान चढ़ी है-‘ये वाला मुंडा बड़ा चंगा है।’ मैं भी देख रहा हूं-‘अहा, अपना भारत कितना आगे बढ़ गया है?’ अब मुझे दादा (प्रणव मुखर्जी) के एक्जीक्यूटिव क्लास तथा इकोनामिक क्लास का फर्क और इसका मर्म समझ में आया है। यह सिर्फ हवाईजहाज का क्लास नहीं है। यह इंडिया, भारत एवं हिन्दुस्तनवा का फर्क है। और यह हर स्तर पर है। मैं गलत हूं?
खैर, बात मुंडा चयन प्रतियोगिता की हो रही है। अब तो इनमें से कई जोड़े बहुत आगे निकल चुके हैं। शुक्र है इसी गुरुवार को एक ने शादी भी कर ली। उसका भी लाइव।
अब पता नहीं राखी सावंत की शादी कब होनी है? कुछ दिन पहले उन्होंने भी ऐसी ही एक प्रतियोगिता में अपने लिए एक को चुना था। मुझे पता नहीं कि दोनों की शादी कब होनी है? मेरे पास अभी तक कार्ड नहीं आया है। राखी के रिंग सीरोमनी के दिन से कराहने वाले मेरे कई परिचित अब थोड़ी राहत में हैं। समय, बड़े-बड़े जख्मों को भर देता है। किंतु उनकी राहत का राज कुछ और है। ये मान चुके हैं कि अभी राखी शादी नहीं करने वाली। अभी वह बाल-बच्चों वाली सीरियल में लगी रहेगी।
हां, तो मुंडों (खासकर कुडि़यों) को देख मुझे भी ईष्र्या हुई। लेकिन मैंने ऐसा कोई भाव चेहरे पर आने न दिया। मेरे साथ मेरी पत्‍‌नी भी प्रोग्राम देख रही थी। हां, कुछ मौकों पर हम दोनों के मनोभाव ने एक-दूसरे को जरूर बैलेंस किया, रखा।
स्टेज पर खड़ी कन्याएं अपनी पसंद – नापसंद बता रही हैं। जयपुर वाली बोली-‘कुछ भी हो, मैं चिकेन खाना नहीं छोड़ सकती।’ मुंबई वाली को साफ्ट ट्वायज (खिलौने) पसंद है पर पति सलमान खान जैसा गठीला बदन वाला चाहिये। इलाहाबाद वाली की इच्छा है कि उसकी सास खाना बनाकर देती रहें। चंडीगढ़ वाली की खूबसूरत आंखों पर कम्प्लीमेंट मिलते रहते हैं। छोटे से ब्रेक के बाद बेजोड़ डांस। डांसर बालाओं को पहली मुलाकात का टिप्स देती हैं।
अब जरा इनको देखिये। भाई जी, पटना में लोकसभा चुनाव हारने के बाद पुराने धंधे पर लौट चुके हैं। शादी के बारे में खासा ज्ञानव‌र्द्धन कर रहे हैं। आपसे शेयर करता हूं। सवाल-‘ दूल्हे को घोड़ी पर क्यों बिठाया जाता है?’ जवाब-‘उसे भागने का अंतिम मौका दिया जाता है।’ द्वार पूजा के ठीक बाद सास तिलक क्यों लगाती है? जवाब-‘वह नजदीक से देखती है कि दूल्हा बदल तो नहीं गया!’ अरेंज मैरिज व लव मैरिज का फर्क है? जवाब सुनिये :-अरेंज मैरिज-‘वन टाइम सेटलमेंट।’ लव मैरिज-‘पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो।’ अरेंज मैरिज-‘पहले टेढ़ा, फिर मेरा।’ लव मैरिज-‘यूज एंड थ्रो।’ अरेंज मैरिज-‘पप्पू पास हो गया। (अंतिम स्थिति)।’ लव मैरिज- ‘ये तो बड़ा टोइंग है।’ अरेंज मैरिज-‘रिलेशन’। लव मैरिज-‘इंफौरमेशन’ (गार्जियन को)। अरेंज मैरिज-‘होल लाइफ एडजस्टमेंट’। लव मैरिज-‘फास्ट फूड टाइप’।
ब्रेक के बाद साइड स्क्रीन पर पांच मुंडों की प्रोमो दिखती है। ओहऽऽ, आह, वाओऽऽ का भाव-आवाजें। एक हीरोइन जी कुडि़यों से पूछतीं हैं-‘बताओ कौन-कौन मुंडा टोइंग है?’ मुंडों की माताएं भी शूटिंग का हिस्सा हैं। एपीसोड्स कुड़ी, मुंडों को नजदीक लाती जा रही हैं।
एक चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज का फ्लैश- फ्लैश चमक रहा था-‘के फार किस।’ मैंने बचपन में के फार काईट, काईट मने पतंग पढ़ा था। ये किस क्या बला है! जानिये :- एक सीरियल बनाने वाली कंपनी जोड़ों (मुंडा- कुड़ी) का आडिशन टेस्ट ले रही थी। आयोजक बोला-‘हमें एक्शन नहीं, किस दिखायें।’ कुछ ने दिखाया भी। वाह इंडिया वाह। पर ‘भारत’ ने बवाल कर दिया।
हां, अब आप सब ये सवाल नोट कर लें। अपने नहीं, तो बाल-बच्चों के काम आयेंगे। परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं। (एक चैनल इनके बूते करोड़पति बनाता रहा है.) :-
1. कितनी प्रतिशत भारतीय महिलाएं एक साइज छोटा कपड़ा यह सोच खरीदती हैं कि यह उनको फिट हो ही जायेगा? (दस हजार रुपये का सवाल).
2. कितने प्रतिशत भारतीय मक्खी पकड़ते हैं? (एक लाख का सवाल).
3. कितनी प्रतिशत भारतीय महिलाएं उन पुरुषों की तरफ आकर्षित होती हैं, जो उनको बिल्कुल भाव नहीं देते हैं?
4. कितने प्रतिशत भारतीय एक के साथ जीवन बिताने की बजाय जीवनसाथी बदलते रहना चाहते हैं?
5. कितने प्रतिशत भारतीय किसी के कमरे से बाहर निकलते ही उसे गाली देते हैं? (10 लाख का सवाल).
6. कितनी प्रतिशत महिलाएं सोचती हैं कि उनके प्रति अब पुरुषों में सभ्यता न रही? (एक करोड़ रुपये का सवाल).
‘सच का सामना’ बंद हुआ। बेटे के जागते हुए भी घर में टीवी खोलने की हल्की गुंजाइश बनी थी। बिग बास का द्वितीय संस्करण थोड़ा सुधरा हुआ है मगर भारत को ‘बहुत आगे बढ़ा हुआ दिखाने’ वाले प्रोग्रामों की कमी है? क्यों है? कोई देखने-सुनने वाला नहीं है या वास्तव में हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं?
इसे देखिये, यह बिल्कुल नये तरह का दान (प्रोग्राम) है। एक चैनल एक कलाकार रो रही है। बेचारी शादी के नौ साल बाद भी हनीमून पर नहीं गयी। उसे हनीमून पैकेज मिलता है। एक हीरो चैनल को चैरिटी में अपना जैकेट देता है। हीरोइन दो ड्रेस देती है। (इसे सिर्फ फिल्मों में ही पहना जा सकता है.)। चैनल, दोनों को एक-एक लाख का चेक देता है।
‘जब वी टाक’ बंद हुई। लेकिन ढाई बजे रात में भी ‘दिल की लाइंस’ खुली हैं। प्यार, रिश्तों में सुधार के ढेरों टिप्स। काउंसिलिंग टाईप। सवाल पूछने के बाद सलाह-‘गो अहेड। थाम लो बांहें।’
टीवी देखकर अपनी, अपने देश की ‘प्रगति’ पता चलती है। हमने मनचाहा वर पाने के यंत्र भी बना लिये हैं। मैं अभी तक यही जानता था कि जोडि़यां स्वर्ग में बनती हैं। (हां, बंडा लोग अपवाद हैं। क्यों? इस पर नया रिसर्च व बहस हो सकती है.)। बहुसंख्यक हिन्दू समाज में आम धारणा है कि शंकर भगवान की पूजा करने से मनभावन वर की प्राप्ति होती है। इसीलिए कुंवारी लड़कियां सावन की सोमवारी भी करती हैं। चैनल पसंदीदा वर के लिए अलग-अलग मंत्र बेच रहे हैं। वे गारंटी भी दे रहे हैं। एक बाबा जी आईएएस पति पाने का मंत्र बता रहे थे। जाप के विधान भी। उन्होंने अलग-अलग पेशे के पति को पाने के लिए अलग-अलग मंत्र बताये। इंजीनियर पति के लिए फलां मंत्र, डाक्टर के लिए ये वाला, आईटी प्रोफेशनल के लिए वो वाला और एमबीए पति के लिए ये। मेरी पत्‍‌नी मंत्रों पर बहुत गौर कर रही थी। शायद यह सोच रही थी कि उसके जमाने में इनका आविष्कार क्यों नहीं हुआ था। मैं चिढ़ रहा था। दो कारण थे। एक, बाबा जी ने पत्रकार पति के लिए कोई मंत्र नहीं बताया। (इधर पत्रकारों का रेट कुछ सुधरा है। किंतु अब भी यह वित्त रहित शिक्षाकर्मियों से बहुत अधिक नहीं है.)। दूसरा-बाबा के पास पसंदीदा पत्‍‌नी के लिए कोई मंत्र नहीं था। मैं नहीं जानता कि इन मंत्रों का उद्गम कहां है? वेद, पुराण तो हो नहीं सकते। तब आईएएस- एमबीए नहीं था। वेदों में भी राजा, मंत्री, सेनापति, खजांची, मुनीम पति के लिए शायद ही कोई मंत्र है।
खबरिया चैनलों पर ग्रह-नक्षत्र व सितारों की दुनिया बड़ी अद्भुत है। धर्म, आध्यात्म, ज्योतिष, खगोलशास्त्र, जादू-टोना, भूत- पिशाच आदि का भरपूर कारोबारी दोहन है। एक चैनल तरह-तरह का यंत्र दिखा रहा है। यह है नजर रक्षा यंत्र। दावा-यह सभी तरह की बुरी नजरों से बचाता है। कैसे? बाकायदा विजुअल है। पात्र इस्तेमाल का फायदा बताते हैं। क्रिकेटर दिखता युवक बोल रहा है-‘मेरी बैटिंग को नजर लग गयी थी। अक्सर जीरो पर आउट होता। पर नजर रक्षा यंत्र धारण करने के बाद हर बाल पर जोरदार शाट।’ चैनल, यंत्र के काम करने का वैज्ञानिक ढंग दिखाता है। यह थ्री डी वे में काम करता है। बुरी नजर को उन्हीं आंखों में लौटा देता है, जहां से ये निकलती हैं।
एक संस्थान कई तरह के कवच बनाता है- हनुमान कवच, शिव शक्ति कवच, मां नवदुर्गा कवच। बाबा, शिव शक्ति कवच की महिमा समझा रहे हैं-‘यह द्वादश ज्योतिर्लिग तथा सवा लाख महामृत्युंजय जाप से अभिमंत्रित है।’ यह भी कई तरह का है। एक-आदमी को पहनने वाला। दूसरा-गृह कवच। तीसरा-व्यापार कवच। चौथा-वाहन कवच। ये सभी 24 कैरेट गोल्ड के हैं। मार्केट का पैकेज देखिये-एक पर एक फ्री। शुद्धता का गारंटी कार्ड। क्रेडिट कार्ड से भी खरीद की सुविधा। पंद्रह दिन की मनी बैक गारंटी। होम डिलवरी। बाबा बता रहे हैं-‘कुबेर, शिव के परम मित्र हैं। यह कवच कुबेर को भी तुष्ट करता है। यह वास्तु दोष का निवारण करने वाला है। घर में आया नहीं कि बरसने लगी शिव की महिमा।’ एक युवक का अनुभव-‘मैं सेकेंड क्लासर था। कवच धारण करने के दो महीने के भीतर एमबीए परीक्षा में टाप कर गया।’ आत्महत्या पर उतारू एक नवविवाहिता का जीवन संवर गया। अब पति जी लव करते हैं। कवच के कई और फायदे हैं-यह शराब की लत छुड़ाता है। मुकदमे का फैसला आपके पक्ष में होगा। आवारा बेटे नाम रौशन करेंगे। आप कारोबारी हैं तो आपके गोदाम में आग नहीं लगेगी, चोरी नहीं होगी, माल लाते वाहन का एक्सीडेंट नहीं होगा। बीमारी-दवा से मुक्ति। जीवन के हर क्षेत्र में बुलंदी। श्री यंत्र के भी यही फायदे हैं।
भजन गाने वाले उस्ताद जी राशि रत्‍‌न के बारे में समझा रहे थे। साथ में कंपनी प्रोडक्ट का दाम और फायदा भी बता रही थी। पब्लिक को भरोसा दिलाने के लिए कर्म और भाग्य पर खूब बहस होती है। धर्म और विज्ञान की लड़ाई तो चलती है मगर अंतत: धर्म-ज्योतिष ही जीतता है।
चलिये, यहां तक तो बात समझ में आयी लेकिन मैं इस ‘ज्ञान’ का क्या करूं-‘सिंह राशि वाले शनिवार को पुराना जूता और नया कंघी दान कर मूंगा पहनें। .. मकर राशि वाले हरी घास को मलाई में डुबोने के बाद उसे ऊं नम: शिवाय के 21 जाप के साथ कुआं में डाल दें। मिथुन राशि वाले शुक्रवार को टूटा झाडू़ घर के पीछे फेंके।’ मूलांक, राशि, नामाक्षर .., एक ही आदमी का भाग्य अलग-अलग कैसे होगा?
अब मुझे इस सवाल का मर्म समझ में आया है। कुछ दिन पहले राज्यसभा में एक सवाल उठा था-‘बापू (महात्मा गांधी) का क्लोन बन सकता है?’ सबने जोरदार ठहाका लगाया था। असली बात ठहाकों में गुम हो गयी थी। अब मैं जान गया हूं कि आखिर लोग अपने घर में गांधी क्यों नहीं चाहते? गांधी को पढ़ सकते हैं, शोध सकते हैं, गांधी पर बोल सकते हैं, गांधीवाद को जुबान दे सकते हैं-फिर खुद गांधी क्यों नहीं बनते? तो क्या, गांधी बनने का स्कोप मार दिया गया है?
वाह इंडिया वाह! मजा आ गया। मैंने क्या समझा था! तू कितना आगे निकल गया रे!

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