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रामदेव बाबा : योग बनाम नक्सलवाद

फंटूश
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मधुरेश.
रामदेव बाबा को सुन रहा था। उन्होंने नक्सलवाद को खत्म करने का उपाय बताया है। बड़ा सिम्पल है। बाबा कहते हैं-‘नक्सलवाद का समाधान योग में समाहित है। योग से मन शांत होगा, रहेगा। अशांत दिमाग का व्यक्ति ही हिंसा-प्रतिहिंसा करता है।’
इसे आजमा लेना चाहिये। बाबा, बिहार के ब्रांड एंबेसडर हैं। उन पर बिहार का ज्यादा हक है। बिहार बहुत पहले से बहुत सारे बाबाओं का प्रयोग-स्थल रहा है। रामदेव बाबा का भी बने। यहां योग और नक्सलवाद पर धांसू प्रयोग हो सकता है। नक्सलियों के रेड कारीडोर का यह सर्वाधिक प्रमुख केंद्र है।
मेरी राय में पी.चिदंबरम साहब फिजूल में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठियां लिख रहे हैं; आपरेशन ग्रीन हंट और न जाने क्या-क्या चलवा रहे हैं। वे सीधे बाबा की शरण में जायें और उनसे नक्सली तथा उनके समर्थकों के लिए समुचित योगासन की जानकारी लें। फिर सभी राज्य सरकारों को इसे सजेस्ट करें। बाबा से पूछना चाहिये कि कपाल-भांति, अनुलोम- विलोम, सूर्यासन,मयूरासन से काम चल जायेगा या उन्होंने कुछ नया डेवलप किया है?
कोई और उपाय भी नहीं है। सब कुछ आजमाया और खारिज सा है। अब तक अफसरान खुशनुमा हवाईयात्रा और लजीज ब्रेकफास्ट-लंच के बीच नक्सल प्राब्लम पर आइडियाज शेयर करते रहे हैं। कम्प्यूटर से और पावर प्रिजेंटेशन में समाधान तलाशा जाता रहा है। शुक्र है कि किसी आडियाबाज ने इसका साफ्टवेयर लांच नहीं किया। सत्तर के दशक की शुरूआत में पड़ी नक्सली आंदोलन की नींव और उसका मौजूदा मुकाम, तंत्र को बेकार बता चुकी है। दर्जनों योजनाएं, अभियान, आपरेशन, कल्याणकारी कवायद, सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा, सम्मान, स्टैण्डर्ड आपरेशनिंग प्रोसीडयोर, एसटीएफ, ग्रेहांड प्रशिक्षण, को-आर्डिनेशन कमेटी .., बारूदी विस्फोट में सब कुछ धुआं-धुआं है। नक्सली, चीन से लेकर श्रीलंका तक कारीडोर बना चुके हैं। ‘कंपोसा’ (अंतर्राष्ट्रीय संगठन) बन चुका है। आखिर वे किसके रोके रुकेंगे? रामदेव बाबा ने उपाय बताया है। योग को नक्सलवाद के मोर्चे पर आजमाया जाये। योग की अद्भुत महिमा है। कहते हैं सिद्ध लोग इसके बूते हवा में उड़ने लगते हैं; पानी पर चलने लगते हैं, तो भला नक्सलवाद की क्या बिसात है?
मुझे पता नहीं कि बाबा ने सरकार एवं पुलिस के लिए कोई आसन डेवलप किया है या नहीं? ऐसा कोई आसन है या नहीं, जो राजनेता या उनके नौकरशाहों को समेकित व सकारात्मक पहल को प्रेरित करेगी? विकासहीनता, ग्रामीण विकास के कार्याें में लूट, सामंती मनोवृत्ति, गांवों की राजनीतिक शून्यता को भरने वाला कोई योगासन है? नक्सली संगठन भारी भटकाव के भी शिकार हैं। मगर उन्हें कुछ हथियारबंद लोगों की जमात बता खारिज नहीं किया जा सकता। गांव के गांव उनके समर्थक हैं। पूरा गांव हमलावर बन जाता है। बच्चे, महिलाओं की अलग टोली है। इन समर्थकों को योग की कौन सी मुद्रा रोकेगी? कौन सा आसन इन्हें हार्डकोर नक्सलियों की लुभावनी बातों की काट की समझ देगा?
रामदेव बाबा के हिसाब से मुझे लगता है कि अभी तक योग का दुरुपयोग हुआ है। योग से दिमाग को शांत कर और सुगर व बीपी को कंट्रोल कर बैठी जमात बड़े ठंडे दिमाग से सबको अशांत कर रही है। खुद मलाई चाभती है, पब्लिक को लेमनचूस बांटती है। बाबा, आपके ‘ठंडे दिमाग’ वालों ने चरने की ‘हाई-प्रोफाइल’ तरकीब अपनायी हुई है। वे योग की तरह चरने को एक कला बना चुके है। पचाना, नहीं डकारना या सीधे घोंट जाना इससे भी बड़ी कला। जुगाली, बस नौसिखियों के लिए पाचन प्रबंधन का चरण है। ये कूल-कूल माइंड वाले जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को मजे में चर रहे हैं। आदमी को ‘रा-मैटेरियल’ बना दिया। तरह-तरह के शोध। नये-नये प्रयोग। यह कौन सी (योग) मुद्रा की ताकत है?
बाबा, मैंने आपके पौष्टिक प्रोडक्ट बेचने वाली गाड़ी देखी है। इसका उपयोग करने वालों को भी देख रहा हूं। उनका दिमाग बड़ा पुष्ट है। गजब की ताजगी। नये-नये आडियाज। ये कम्प्यूटर से विकास करने वाले हैं।
कुछ दिन पहले बिहार में ‘होमाथेरेपी’ से जल एवं पर्यावरण को शुद्ध करने की बात चली थी। धर्मशास्त्रों में दर्ज मंत्रों का हवाला आया था। पटना नगर निगम ने इन्हीं समझ को विस्तार दिया है। जहां- तहां थूकने को अपराध घोषित किया है। दरअसल हम बेहद प्रतीकात्मक और औपचारिक हो गये हैं। दिलचस्प कल्पनाओं में जीने के आदी।
उस दिन बाबा भ्रष्टाचार पर भी बोल रहे थे। स्विस बैंक में जमा 60 लाख करोड़ रुपये पर भी। उससे देश के गरीबों का कल्याण करने की बात कह रहे थे। ये तो ‘शांत दिमाग’ वाले ही है। इनके लिए कोई आसन नहीं है, जो स्विस बैंक के रुपये को राघोपुर पंचायत में खर्च करने की समझ पैदा कर दे? भ्रष्टाचार को खत्म करने वाला कोई आसन है?
बाबा, बाबा हैं। सब कुछ जानते हैं। अब वही जानें कि आखिर पब्लिक का मन कैसे शांत रहेगा? ऐसा भी कोई आसन है क्या, जो कुलबुलाती अंतड़ी को रोटी-पानी से इतर ध्यान के उस चरम पर ले जाये, जहां ज्ञान के प्रकाश पुंज से तादात्म्य स्थापित करने के बाद आदमी खुशी से झूम उठे? एक बाबा जी के चेले कैदियों को जीने की कला सिखाते हैं। बहरहाल, रामदेव बाबा की एक बात राहत देती है। वे नेपाल में योग केंद्र खोल रहे हैं। तो क्या मान लिया जाये कि अब नेपाली माओवादी, बिहारी नक्सलियों के मददगार नहीं रहेंगे?

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