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मधुरेश
इधर आदमी के बारे में कुछ नया ज्ञान हुआ है। आपसे शेयर करता हूं।
अपने देश का आदमी कुछ ज्यादा ही आजाद है। मुकम्मल आजाद है। वह कहीं, कोई रोक-टोक नहीं मानता। बिल्कुल उन्मुक्त है। बंधन मुक्त है। सिर्फ अपना अधिकार याद रखने को आजाद है। उसने इसी आजादी के साथ अपने कर्तव्य की देखरेख का जिम्मा सरकार को दे दिया है। उसकी आजादी, रगों से बाहर निकल स्वतंत्रता की परंपरागत परिभाषा को नया विस्तार दे रही है। तरह-तरह की आजादी है।
कुछ दिन पहले बेतिया में मोटरसाइकिल की ठोकर से एक बकरी घायल हुई। लोगों ने मोटरसाइकिल सवार को मार डाला। (किसी को, कहीं भी, कभी भी मार डालने की आजादी)।
सरकारी कर्मियों की अपनी आजादी है। सरकार परेशान है। कर्मियों को ड्यूटी पर मौजूद रखने के लिए बेजोड़ तकनीक से लैस हो रही है। समाज कल्याण विभाग ने सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना पदाधिकारी) की आजादी को खत्म करने के लिए मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया। कुछ आजाद पकड़े गये। अब ‘वीडियो इंस्पेक्शन’ को ज्यादा असरदार उपाय माना गया है। आजादी रुकेगी?
यह आजादी की नई किस्म है। अभी- अभी स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने डीएन चौधरी (तत्कालीन राजभाषा निदेशक) के और चालीस लाख रुपयों का पता किया है। (कमाने, उसे छुपाने या फंड मैनेजरी की आजादी)।
रुपये का मोह, आजादी की भावना को खासा उछाल देता है। विजिलेंस ब्यूरो ने इसी हफ्ते दिलचस्प मुकदमा किया है। एक कंपनी को जब ठेका न मिला, तो वह पटना हाईकोर्ट चली गयी। सरकार (जल संसाधन विभाग) पर अंगुली उठा दी। जब जांच हुई, तब कंपनी ही कसूरवार मानी गयी। (बेहिचक आरोप लगाने की आजादी)।
आजादी के मामले में अपनी पुलिस अव्वल नंबर है। झंझारपुर के थानेदार ने गोधनपुर के लक्ष्मी साहू तथा उनकी पत्नी श्रीमती भवानी देवी को इसलिए जेल भेज दिया, चूंकि उनके पास रिश्वत देने लायक रुपये न थे। (कुछ भी कर गुजरने की आजादी)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधानसभा में कहना पड़ा-‘साहू दंपति के सम्मान पर हुए आघात का मुआवजा मिलेगा।’ रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया आठ वर्ष से जेल में बंद हैं। मगर पुलिस तथा सरकारी वकील उनको फरार बताने को आजाद है। (शासन को परेशानी में डालने की आजादी)।
बिहार में केंद्र सरकार के दफ्तरों पर भी बिहारी आजादी की छाप है। सीबीआई ने पीएफ (भविष्य निधि) आफिस के इन्फोर्समेंट आफिसर बीके सिन्हा तथा कुछ ठेकेदारों के ठिकानों पर छापा मारा। इन पर ठेका हासिल करने में इस्तेमाल होने वाले पीएफ कोड नम्बर के मुतल्लिक गड़बड़ी का आरोप है। यह मामला पिछले वर्ष उजागर हुआ था। रीजनल पीएफ कमिश्नर मनोहर लाल नगोड़ा तथा असिस्टेंट पीएफ कमिश्नर नरेंद्र कुमार घूस लेते पकड़े गये थे। लेकिन गोलमाल नहीं थमा। (नसीहत न लेने की आजादी)।
आजादी की कुछ और किस्में इस प्रकार हैं। लाश पर राजनीति की आजादी। समस्या की मूल वजह को सतही आरोप-प्रत्यारोप में उलझाने की आजादी। धान-गेहूं खरीद तक पर राजनीति की आजादी। बाढ़-सूखा राहत पर राजनीति की आजादी। भूखे-नंगों को जाति-संप्रदाय में बांटने की आजादी। स्कूलों को खिचड़ी वितरण केंद्र बनाने की आजादी। गंगा को पूजते हुए उसे गंदा करने की आजादी। समर्थक तय करने की आजादी। बच्चों को मारकर बड़ों का बदला लेने की आजादी। लाशों का संतुलन बनाने की आजादी। सहूलियत की गर्दनें चुनने, उसे उतारने की आजादी। जाति के आधार पर अपराध को माफी की आजादी।
मेरे मुहल्ले में एक किमी. का नाला सात वर्ष से बन रहा है। चार साल से पानी का पाइप लाइन बिछ रहा है। यह मजिस्ट्रेटों की बस्ती में विकास की रफ्तार है। (सब कुछ जायज होने की आजादी)। हम कभी-कभी अचानक मर्द बन जाते हैं। तब, जब कोई साइकिल चोर या जेबकतरा पकड़ा जाता है। (मर्द बनने की आजादी)। एक बिहारी के नाते रा-मैटेरियल बने रहने की आजादी। आदमी, अहिंसा दिवस पर मुर्गो को हलाल कराता है। खस्सी कटवाता है। ड्राई-डे तामिल कराने के लिए पुलिस को दारू के अड्डों पर पहुंचना पड़ता है।
पुलिस,जीपीएस सिस्टम से लैस हो रही है। चौराहों पर सीसीटीवी लगनी है। ट्रैफिक दुरुस्त करने की अत्याधुनिक तैयारी है। लेकिन आदमी और उसकी आजादी ..! आदमी, आदमी है? आदमी, आदमी बनेगा?
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