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‘ये देश है वीर जवानों का ..’

फंटूश
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मधुरेश.
अब मैंने भी मान लिया है कि मैं जिस देश में रहता हूं, वह वीर जवानों का देश है। कोई भी मान लेगा। अरे, किसकी हिम्मत है जो नहीं मानेगा? वीर जवान पटककर मनवा देंगे। दो बजे रात में बैंड वाला बजाता है-‘ये देश है वीर जवानों का ..।’ देश की जवानी लाउडस्पीकर पर चिग्घाड़ती है। वीर जवान नाच रहे हैं। दो बजे रात में नाचना-गाना, हंसी-खेल तो है नहीं? वीरता का यह काम वीर जवान ही कर सकते हैं। कर रहे हैं।
अपने देश में वीर बूढ़े भी हैं। उनका भी जमाना था। जवानी थी। अभी वे वीर जवानों से कम्पटीशन कर रहे हैं। उनके, यानी वीर बूढ़ों के लिए चूंकि गाने का कोई बोल लांच नहीं किया है, इसलिए वीर जवानों की धुन से काम चला रहे हैं। वीर जवानों के साथ अलबेला-मस्ताने हो रहे हैं। अहा, क्या सीन है! देखिये :-
जो वीर जवान थोड़ा होश में है, वह पूरे इलाके की होश उड़ा रहा है। दो- ढाई बजे रात में पटाखे फोड़ रहा है। कुछ वीर जवान गोलियां चला रहे हैं। धुआंधार। ताबड़तोड़। तर्ज यही कि अगर पटाखे न फूटें, गोलियां न चलें, तो बैंड की यह धुन चरितार्थ नहीं होगी कि ‘आज मेरे यार की शादी है।’ और शायद इसीलिए ही मंत्रोच्चारण को भी लाउडस्पीकर से जोड़ दिया गया है।
अभी-अभी मेरे मुहल्ले की एक बारात ब्रह्म मुहूर्त (करीब साढ़े तीन बजे) में लगी। इसमें कुछ ज्यादा ही वीर जवान थे। दूल्हा भी वीरता दिखा रहा था। बैंड वाला बजा रहा था- ‘नथुनिये पे गोली मारे सैंया हमार ..’, ‘तू लगईलू जब लिपिस्टिक, त हिले आरा डिस्टिक ..’, ‘जिमी-जिमी- जिमी, आ जा-आ जा-आ जा।’ (शायद बारात एडवांस में चली आयी थी)। किसकी हिम्मत है, जो वीर जवानों के पास जाये? मेरे पड़ोसी ने ‘100’ डायल किया। नो रिस्पांश। मैं उन्हें समझा रहा था। वे उन वीरों पर कानूनी वीरता दिखाना चाहते थे, जिनमें कई लालबत्ती वाले थे। उनके पास राइफल-बंदूकें थीं।
अपना बिहार वीर जवानों की जवानी, उनकी वीरता को कमोबेश हर क्षण जीने का अनुभवी रहा है। लगन, इसका विस्तारित स्वरूप है। नये-नये टाइप्स। तरह-तरह की वीरता। यह चौतरफा फैली है। चिरैयाटांड़ पुल जाम हो जाता है। वीर जवान डाकबंगला चौराहा पर नाचते हैं। मुहल्ले की सड़क को घेर लेते हैं। एकाध दिन की बात तो समझ में आती है मगर शादी के चार दिन पहले से लेकर शादी के तीन दिन बाद तक की घेराबंदी। महीने भर तक वीर जवानों और वीर बूढ़ों के घर के मेनू का लगभग हर सड़ा पक्ष (गरम मसाला से लेकर प्याज तक) मुहल्ले को शादी वाले दिन के पकवान का बड़े ही बेतुके अंदाज में अहसास कराता है।
तनिक इस वीरता को देखिये। अपनी बेटी की शादी में दूसरे की बेटी को नचा रहे हैं। मजलिस में वीर बूढ़े कुछ ज्यादा चहकते हैं। वीर बेटा-भतीजा की बगल में बैठकर नाचने वाली पर रुपये लुटाते हैं। नर्तकी आंचल ओढ़ाती है, मटककर लाउडस्पीकर पर वीर बूढ़े का नाम लेकर शुक्रिया अदा करती है। वीरता दूर तक गूंजती है। शराब-बंदूक और लड़की (डांसर) का त्रिकोण, वीरता का नार्मल सिचुएशन है। और वाकई इससे बड़ी वीरता क्या हो सकती है कि पसंदीदा गाना न सुनाने के चलते नाचने वाली को सबके सामने गोली मार दो।
ऐसे ही एक बारात में मेरी मुलाकात कुछ वीरों से हुई। वे रात में मुझे पटक कर रसगुल्ला खिला रहे थे। सुबह में गोली मारने पर आमादा थे। भई, मूड-मूड की बात है। वीरों का अपना मूड होता है। मैंने एक बारात में दूल्हे को भी अपने ससुराल वालों पर गोली चलाते देखा है। कन्या निरीक्षण के वक्त चंदोवा (शामियाना) को गोलियों से फाड़ डालना, क्या वीरता नहीं है? कुछ वीर दरवाजा लगते समय दूसरे पक्ष की लड़कियों की तस्वीरें उतारने की वीरता दिखाते हैं, तो दूसरे वीर उनका कैमरा तोड़ डालते हैं। कई वीरों ने अपनी गोली से अपनों को ही मार डाला है।
यह वीरता ही तो है कि दहेज में पांच सौ रुपये भी न छोड़ो और पच्चीस हजार के पटाखे फोड़ डालो। असल में अपने यहां वीरता दर्शाने की कुछ ज्यादा ही गुंजाइश है। यहां का आदमी कुछ ज्यादा ही आजाद है। मुकम्मल आजाद है। वह सिर्फ अपना अधिकार याद रखने को आजाद है। उसने इसी आजादी के साथ अपने कर्तव्य की देखरेख का जिम्मा सरकार को दे दिया है। उसकी आजादी, रगों में दौड़ने वाले खून से बाहर निकल स्वतंत्रता की परंपरागत परिभाषा को नया विस्तार दे रही है। तरह-तरह की आजादी है। इनकी चर्चा फिर कभी। फिलहाल, ‘ये देश है वीर जवानों का ..’ की धुन पर रात में दो बजे नाचने की प्रैक्टिस कीजिये। यही आपकी वीरता का प्रमाण है।

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