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बड़ा ही तेज चैनल है ये!

फंटूश
फंटूश
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अब मैंने भी मान लिया है कि इलेक्ट्रानिक चैनल बहुत तेज होते हैं। जो काम कोई नहीं कर सकता, ये कर देते हैं। सरकार, अपनी चुस्ती- फुर्ती के लिए अपने लोगों को यहां ट्रेनिंग दिला सकती है।
मैं मुंबई पर आतंकी हमले के समय से पत्रकारिता में ‘डिजिटल जांबाजीÓ को सैल्यूट कर रहा हूं। कुछ दिन पहले लखीसराय पुलिस बंधक प्रकरण में भाई लोगों की तेजी ने तो मुझे भाव-विभोर कर दिया है। अब क्या करूं-तय नहीं कर पा रहा हूं!
खैर, उसी दौरान रात डेढ़ बजे एक चैनल हेड की सफाई सुन रहा था। वह बचाव में पत्रकारिता की परिभाषा को लाइव कर रहा था। वह अविनाश को माओवादी प्रवक्ता बता उसका टेलीफोनिक इंटरव्यू लाइव कर रहा था और यह भी कह रहा था कि ‘मैं अविनाश को बिल्कुल नहीं जानता हूं।Ó तो भईया, पिछले तीन-चार दिन से उसकी एक-एक बात घर-घर तक क्यों पहुंचाते रहे? और फिर लखीसराय प्रकरण में उसकी कौन सी बात पूरी हुई, जो वह लगातार आन एयर रहा? (एक नया ज्ञान-सरकार किसी चैनल समूह को अपनी खुफिया शाखा में भर्ती करे)।
एक चैनल ने तो हद ही कर दी। वह अपना एक्सक्लूसिव न्यूज दिखा रहा था। देखिये- ‘एक आदमी, जो खुद को नक्सली नेता किशन जी बता रहा था, अभय यादव के गांव में आया हुआ है, उसकी पत्नी से राखी बंधवा रहा है, उसकी बेटी को पुचकार रहा है और अभय को मुक्त करने का भरोसा देने के बाद नक्सलियों की तरफदारी में भाषण झाड़कर चला गया।Ó बाद में एक दूसरे चैनल ने पहले वाले चैनल की बाकायदा पोल खोली-खुद को किशन जी बताने वाले आदमी वस्तुत: पागल था। रांची के मानसिक आरोग्यशाला में उसका इलाज हो चुका था। मजेदार तो यह कि पागल आदमी अपने साथ चैनल वाले को भी लेकर अभय के गांव में आया था। कुछ ही मिनट में सभी चैनलों यह सीन परोसा गया। उसने भी परोसा, जिसने बाद में इस व्यक्ति को पागल करार दिया। (दूसरा ज्ञान-चैनल की मदद से आप भी किशन जी बन सकते हैं)।
शायद इसी सहूलियत का माओवादियों ने फायदा उठाया, उठाते हैं। उनकी तरफ से खूब मार्केटिंग हुई है। (तीसरा ज्ञान-माओवादी, सरकार को छोड़कर सबसे बात करते हैं)।
भई, मेरा तो ज्ञान बढ़ता ही जा रहा है। देखिये, जानिये-आपका भी बढ़ेगा। चैनलों पर पहले दिन खबर फ्लैश हुई-‘अभय यादव मारे गये।Ó बाद में पता चला-‘टेटे को मार दिया।Ó चैनल अपनी ही बातों को काटते भी रहे। बंधक पुलिसकर्मियों छूटने का समय बताते थे और इसके गुजरने की खीझ नक्सलियों पर उतारते भी रहे।
एक चैनल ने बंधकों की रिहाई की खबर चला दी। यह भी जोड़ दिया कि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह ऐसी लाइन है, जो बात से पलटने की भरपूर गुंजाइश देती है। बातें खूब बदली भी गईं हैं। एक चैनल ने  बंधकों की रिहाई की गुंजाइश को परोसते हुए इसे अपनी ‘खबर का असरÓ के रूप में प्रसारित कर दिया।
एक की खबर चेहरे पर हंसी लाती भी नहीं थी कि दूसरी की रिपोर्ट रोंगटे खड़ी कर देती थी। हां, एकाध मामलों में उनमें गजब की एका है। सभी बंधकों के परिजनों से पूछ रहे हैं-‘आप कैसा फील कर रहे हैं?Ó लाश को क्लोज अप में दिखा रहे हैं।
भूत-प्रेत, जादू-टोना, तिलस्म, मिथक के थीम को तो उन्होंने अपने खून में उतार लिया है। ये पब्लिक को ‘स्वर्ग का द्वारÓ दिखाते हैं और 2012 में ‘जलजलाÓ से डराते हैं। अब तो कुछ ने सेक्स आधारित लजीज सर्वे के बूते अपनी टीआरपी बढ़ाने की बुलंद कोशिश शुरू कर दी है। ये अपने स्टूडियो ज्योतिष शास्त्र के ‘विद्वानोंÓ को बिठाते हैं और यह ऐलान करते हैं कि आईएएस पति पाने के लिए भी मंत्र है। इंजीनियर पति के लिए इस मंत्र का जाप करें और डाक्टर पति के लिए ये …! यह व्यक्ति के राशिफल के हिसाब से उसे भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करने की विधियां बताते हैं। ऐसा तब है, जबकि छठ ही एक ऐसा पर्व है, जिसमें भक्त और भगवान के बीच पुरोहित नहीं होता। वाकई, ये बड़ा ही तेज चैनल है।

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