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नेता, उसकी बीबी

फंटूश
फंटूश
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यह नेता के बारे में लेटेस्ट ज्ञान है। आपसे शेयर करता हूं। नेता, एक मामले में आदमी होता है। आदमी की तरह वह भी अपनी बीबी से बहुत डरता है।
अभी-अभी लंदन की एक बीयर कंपनी ने आदमी पर शोध किया है। सर्वे में यह बात आई है कि मर्द अपनी सास, यानी अपनी बीबी की मां से बहुत डरता है। इसमें कौन सी नई बात है? अरे, जो बात स्थापित सत्य है, उस पर शोध कैसा? इसके लिए सर्वे की क्या जरूरत थी? जब बीबी ही डराने को काफी है, तो फिर उसे धरती पर लाने वाली मातृशक्ति की ताकत व रूप का कहना ही क्या है? वह तो सोते-जागते, मरते-जिंदा रहते श्रद्धेय है, नमनीय है।
हां, इस सर्वे में एक मार्के वाली बात है। सर्वे बीयर कंपनी की है। जिनसे सवाल पूछे गये होंगे, शायद उनमें अधिकांश नशे में होंगे और नशे में आदमी झूठ नहीं बोलता है। इस सर्वे से बीबी, उसकी मां से डरने की सदियों पुरानी भारतीय परंपरा संपुष्ट हुई है, बस। बाकी सब बकवास है। कुछ भी नया नहीं है।
ये पश्चिम वाले हमें यूं ही ठगते रहते हैं। कभी चाकलेट को नुकसानदेह बताते हैं, तो दो दिन बाद इससे कैंसर तक इलाज समझाते हैं। मेरी राय में शोध या सर्वे तो इस विषय पर होना चाहिये कि नेता, अपनी बीबी से गरीब कैसे है? यहां का चुनाव नेता और उसकी बीबी का शोधपरक संदर्भ रखे हुए है। मेरी गारंटी है यह शोध बड़ा लाजवाब होगा। इतने ही लजीज इसके नतीजे भी होंगे। ढेर सारे तथ्य हैं। यह लोकतंत्र की अवधारणा से दुनिया को वाकिफ कराने वाले बिहार के खाते में एक और ऐतिहासिक-लोकतांत्रिक उपलब्धि जोड़ेगा।
मैंने सैकड़ों नेताओं का ‘चुनावी हलफनामा देखा है। यहीं से मुझे इस शोध का आइडिया आया है। आप भी जानिये, समझिये। जनाब, चुनाव लडऩे वाले ज्यादातर नेता अपनी पत्नी से बहुत गरीब हैं। कई की ‘गरीबी तो बहुत रुलाती है। कई तो इतने गरीब हैं कि पता नहीं अपने बूते अपना, अपने घर का खर्च कैसे चलाते हैं? कई के बारे में तो मैं यह सोचने लगा हूं कि बेचारे अगर चुनाव न जीते, तो पता नहीं उनके बच्चों का क्या होगा? कैसे उनकी पढ़ाई होगी? बेटियों की शादी कैसे हो पायेगी? मुझे लगता है कि कई लोग तो बीबी से अपनी ‘गरीबी के नाम पर ही जीत जायेंगे।
हां, शोध की एक लाइन यह हो सकती है कि नेता की गरीबी उसकी फंड मैनेजरी है या वह बेचारा, वाकई अपनी बीबी से बेहद डरा रहता है; जो भी कमाता है बीबी के नाम करता जाता है। जेवर के मामले में बीबी के धनवान होने की बात समझ में आती है, लेकिन अपना नेता तो हर स्तर पर गरीब है।
अब यहां थोड़ा संदेह है। चूंकि नेता अलग प्रजाति का होता है। वह आदमी तो होता नहीं है। फिर बीबी से आदमी की तरह क्यों डरेगा? यह शोध का एक धांसू एंगिल हो सकता है।
कुछ और एंगिल भी हैं। पटना हवाई अड्डा से रोज उड़ते हेलीकाप्टर, चुनाव क्षेत्रों में नेताजी के तामझाम से उनके हलफनामे की तुलना की जाये।
शोध या सर्वे में ये सवाल भी समाहित रहें कि क्या नेता, उसका खानदान अपना कुछ भी नहीं खाता है? वह पूरी तरह परजीवी होता है? वह पूरे देश को खाता है? उसका हाजमा बड़ा दुरुस्त होता है, जो बांध, सड़क, अस्पताल, स्कूल या फिर कल्याणकारी योजनाओं को खाने के बाद डकार तक नहीं लेता है? इसमें सीबीआई और आयकर विभाग के अब तक अनुभव शामिल किये जायें। ‘अरे, बाप रेऽऽ …! भई, देखिये -समझिये यह सब। मैं तो चला। बीबी ने फोन किया है। उसके साथ उसकी मां के पास जाना है।

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