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कांग्रेसी पालिटिक्स : लेटेस्ट एडीशन

फंटूश
फंटूश
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अब मैंने भी जान लिया है कि कांग्रेस को देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी क्यों कहते हैं? सबसे पुरानी इसलिए, चूंकि इसमें बहुत पुराने-पुराने लोग हैं। बेड से उठाकर फील्ड में लाने की परिपाटी है। अपना बाबा इसे ‘यंग लुक देने की कोशिश में है। पुराने लोगों के चलते पार्टी, युवा की उम्र तय नहीं कर पा रही है।
यह सबसे बड़ी इसलिए कहलाती है, चूंकि इसमें बड़े-बड़े लोग हैं। बड़ा-बड़ा दिमाग है। ये किसी का भी दिमाग घुमा सकते हैं।
खैर, यह तो इसका परंपरागत गुण है। मैंने इस चुनाव में इसके कई और गुण देखे हैं। ये इसकी राजनीति के लेटेस्ट एडीशन हैं। आपसे शेयर करता हूं।
यह कई मामलों में वाकई इकलौती है। इसके रग-रग में ‘लोकतंत्रÓ है। किसी को, कभी भी, कुछ भी बोलने का पूरा अधिकार है। एक की जुबान हिलती नहीं कि दस-बारह चिग्घाडऩे लगते हैं।
इसमें रोज दिन बड़ा एंगल होता है। इसको कवर करने वाले रिपोटर्स को खबर की कमी नहीं होती है। यह बड़ी उदार है। हर वाद, किसी भी व्यक्ति को बड़े आराम से समाहित कर लेती है।
बड़ी अद्भुत है। बड़ी दूरदर्शी है। बहुत जल्दी फुर्सत में आ जाती है। अभी बिहार विधानसभा के चुनाव का आखिरी चरण बाकी है और अध्यक्ष जी ‘हार की जिम्मेदारी पर बात करने लगे हैं। उन्होंने कहा है कि ‘उम्मीदवार के प्रदर्शन के लिए उसे टिकट दिलाने वाले नेता ज्यादा जिम्मेदार होंगे। उनकी यह सपाट और ईमानदार लाईन ढेर सारे पुराने और बड़े लोगों को बहुत बुरी लगी है। बिल्कुल ‘चोर की दाढ़ी में तिनका के माफिक ये लोग अध्यक्ष जी के खिलाफ हो गये हैं। ये लोग अपना चेहरा बचाने की पृष्ठभूमि बना रहे हैं। अध्यक्ष जी भी उनसे अलग नहीं हैं।
उनके बयान को कुछ पुराने संदर्भों से जोड़ें, तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है।
ये सीन कुछ इस प्रकार हैं। पाठक अपनी सुविधा से भी इसका क्रम तय कर सकते हैं :-
दृश्य एक : भाई जी की मैडम जी अपनी फ्रेश लिस्ट लेकर दिल्ली में हैं। मैडम, तीन मर्तबा प्रभारी जी से बात करने जातीं हैं। तीनों बार अलग-अलग लिस्ट देतीं हैं। बौखलाये प्रभारी जी मैडम से पूछते हैं-‘आपकी लिस्ट कुछ घंटों के अंतराल पर क्यों बदल जा रही है? इसका यह अर्थ क्यों न निकाला जाये कि आप लोगों की जिससे बेहतर सेटिंग हो जा रही है, उसका नाम लिस्ट में जुड़ जा रहा है और जो …!
दृश्य दो : ये टिकट देने वाली मैडम जी हैं। अपने उम्मीदवारों की सूची देख रहीं हैं। सूची का स्वरूप बड़ा अजीब है। इसमें उम्मीदवारों के नाम के आगे उनका ‘केयर ऑफ भी लिखा हुआ है। मैडम, नेता के कोटा पर भड़क जाती हैं।
दृश्य तीन : खूनी अदावत जीने वाले दो भाई लोगों की पत्नियां एक-दूसरे की ‘बड़की-‘छोटकी (बहन) बनी हैं। मकसद-आधिकाधिक टिकट पाना। बड़की ने हालिया कई वर्ष से ‘राजा की भूमिका जी रहे जनाब का पानी उतार दिया है। जनाब ने ‘बड़की द्वारा एक व्यक्ति के लिए मांगे गये टिकट पर आपत्ति की थी।
फिर आश्रम पर कब्जा, टिकट बेचने का आरोप, बड़े नेताओं पर हमला, आगजनी, पुतला दहन …, पूरी फिल्म बन सकती है।
अभी-अभी पार्टी ने चार और प्रवक्ता बनाये हैं। अभी पार्टी को बहुत कुछ बोलना, बोलवाना है। आश्रम का एक पुराना बाशिंदा अपनों के बीच फरमा रहा था-‘ई बड़का भारी पार्टी है रे बाप …!

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