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सांता क्लाज और प्याज!

फंटूश
फंटूश
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सांता क्लाज, क्रिसमस के दिन प्याज बांट रहे थे। मुझे यह एक चैनल का आयोजन लगा। आजकल टीआरपी के लिए सबकुछ हो रहा है। तरह-तरह की दुकान है। लगभग इतने ही तरह की टीआरपी है।
इसका वर्णन फिर कभी। फिलहाल मैंने भी मान लिया है कि पब्लिक का टेस्ट बहुत बदल गया है। मैं अभी तक यही जानता था कि सांता क्लाज चाकलेट, केक और उपहार बांटते हैं। सांता क्लाज के प्याज वितरण की अदा ने उनके बारे में मेरा ज्ञानवद्र्घन किया है। बाबा, आन डिमांड काम करते हैं। आजकल प्याज की पुरजोर डिमांड है, इसलिए प्याज बांट रहे थे। बच्चे, प्याज को टाफी-केक माने हुए थे। उनसे ज्यादा उनकी मम्पी-पापा खुश हुए होंगे। अब इस बात पर लंबी बहस हो सकती है कि प्याज, सांता क्लाज के हाथों बंटने की औकात में कैसे आया? इस लम्बी दास्तान का दायरा अर्थशास्त्रीय व्याख्या से लेकर उस बिचौलिया प्रजाति से जुड़ता है, जो देश के तमाम क्षेत्रों को मजे में कुतर रहा है। यह जमात कुछ करती नहीं है।
खैर, सांता बाबा, बाबा हैं। भोले हैं, सरल हैं। आन डिमांड उनसे बहुत कुछ कराया जा सकता है। भाई लोग उनसे दाल, लहसुन भी बंटवा सकते हैं।
मेरी राय में समय के साथ पब्लिक का टेस्ट बदलता है। बदल रहा है। पब्लिक ने अपने टेस्ट को बहुत एंगिल से मोड़ा हुआ है। अब वह मैंगो बाईट में ही पका, कच्चा आम का स्वाद पाता है। लीची, अनानास …, रेडी टू इट का लंबा-चौड़ा रेंज है। यह समय खाने- पचाने, स्वाद हासिल करने का नहीं-स्वाद को जस्ट फील करने का है। फीलिंग में लगभग सबकुछ गुजर रहा है।
प्यार-दोस्ती, प्रति सेकेंड के हिसाब से उपलब्ध है। सुबह-सुबह मोबाइल के इनबाक्स में प्यार व दोस्ती के कई आप्शन पड़े होते हैं। आप तय करो जी-किसके लिए सूट करते हो। सबकुछ बड़ा फास्ट है। समय की बड़ी कमी है। एसएमएस से बहुत सारा काम हो जाता है।
किसी भी ड्राइंगरूम में झांकिये। आप आदमी और उसका बदला हुआ टेस्ट पूरी तरह फील कर लेंगे। जिंदगी के कमोवेश हर पहलू से जुड़ा तरह-तरह का टेस्ट रोज रात में ड्राइंगरूम में छा जाता है। ओहऽऽ, आह, वाओऽऽ …, की आन एयर (लाइव) सीन के बीच कुडिय़ां (लड़कियां) अपना मुंडा (पति) चुनतीं हैं।
बाप रे बापऽऽ! क्या टेस्ट है! एक्जीक्यूटिव क्लास तथा इकोनामिक क्लास का फर्क और इसका मर्म अब समझ में आ रहा है। यह सिर्फ हवाईजहाज का क्लास नहीं है। यह इंडिया, भारत एवं हिन्दुस्तनवा का फर्क है।
यह शादी के बारे में पब्लिक का नया टेस्ट है। शादी के बारे में मेरा ज्ञानवद्र्धन हुआ है। आपसे शेयर करता हूं। सवाल-दूल्हे को घोड़ी पर क्यों बिठाया जाता है? जवाब-उसे भागने का अंतिम मौका दिया जाता है। सवाल-अरेंज मैरिज व लव मैरिज का फर्क है? जवाब-अरेंज मैरिज-वन टाइम सेटलमेंट। लव मैरिज-पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो। अरेंज मैरिज-पहले टेढ़ा, फिर मेरा। लव मैरिज-यूज एंड थ्रो। अरेंज मैरिज-पप्पू पास हो गया। (अंतिम स्थिति)।
जरा, सवालों का यह टेस्ट जानिये। ये एक चैनल पर आने वाले प्रोग्राम के कुछ सवाल रहे हैं। सुनिये-कितने प्रतिशत भारतीय मक्खी पकड़ते हैं? (एक लाख का सवाल)। कितनी प्रतिशत भारतीय महिलाएं उन पुरुषों की तरफ आकर्षित होती हैं, जो उनको बिल्कुल भाव नहीं देते हैं? (पांच लाख का सवाल)। कितने प्रतिशत भारतीय किसी के कमरे से बाहर निकलते ही उसे गाली देते हैं? (10 लाख का सवाल)।
एक टेस्ट दिल की लाइंस है। यह रात के ढाई बजे भी खुली रहती है। राखी का इंसाफ, बिग बॉस …, बदले हुए टेस्ट के नमूनों की कमी है? फिर आईएएस पति मंत्र, भुतहा बंगलों का रोमांचक सेट …, ऐसे में सांता क्लाज तो प्याज बांटेंगे ही। अब मुझे यह पता नहीं कि आगे के दिनों में उनसे और क्या-क्या कराया जायेगा? ये इंडिया की पब्लिक और उसका टेस्ट है भाई! उसे प्याज चाहिये, तो बस चाहिये।

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