- 248 Posts
- 399 Comments
पहली बार जाना कि जोश और जुनून का भी बाजार होता है। दिमाग हो तो भावनाएं उभार उन्हें मजे में बेचा जा सकता है। नये-नये तरीकों से वाकिफ हुआ हूं। आप भी देखिये, जानिये। भारत-पाकिस्तान सेमीफाइनल के दौरान बुखार थर्मामीटर तोडऩे-फोडऩे लायक हो गया। सब कुछ खुले में। चैनल दिखाते रहे-मोहाली स्टेडियम में सुरक्षा की कमान एसपीजी और एनएसजी कमांडो ने संभाल ली है। चंडीगढ़ शहर में राष्ट्रमंडल खेल से भी तगड़ा सुरक्षा का इंतजाम है। एक दिन पहले पकड़े गये जासूस की खबर को आधार बना खतरों का पैकेज्ड वे परोसा हुआ है। पटना की एक सद्भावना रैली लाइव थी। इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल बताये गये। कुछ लोग मुखौटे पहने हुए थे। थोड़ी देर में ये लोग हमलावर माफिक चिग्घाडऩे लगे। इनकी जीत की मुनादी का अंदाज कुछ अजीब सा था। चैनलों ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट को अपना-अपना नाम दिया हुआ था-विश्वयुद्ध, महासंग्राम, जंग, सदी का सबसे बड़ा मुकाबला …! चेहरा खिलाड़ी का है मगर लुक सैनिक का। इस शीर्षक या स्वरूप वाली पैकेजिंग में पाकिस्तान को पीट दो, दुश्मन को धूल चटा दो, सबक सिखा दो जैसे आक्रामक शब्दों की भरमार। फाइनल में शब्द बदल गये-लूट लो लंका, दहन कर दो लंका …! सेमीफाइनल से फाइनल तक चैनल दिखाते रहे-जीत के लिए महामृत्युंजय जाप, रूद्राभिषेक, गायत्री मंत्र, पुरुष सूक्त, ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र …, यानी सब कुछ दांव पर लगा दिया गया। चौतरफा पूजा-पाठ, चादरपोशी, हवन, अनुष्ठान। मेरी राय बनी है-भगवान जरूर परेशान हुए होंगे। भोले शंकर, माता भवानी, काली माता, हनुमान जी, महात्मा बुद्ध से लेकर खुदा तक …, सबको भारत की जीत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। क्रिकेट से ये सभी जरूर भारी द्वंद्व में होंगे। उनके जमाने में तो क्रिकेट था नहीं। खैर, यह भी दिखा कि उनके सामने नये भगवान हैं। ये हैं-धोनी, वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर …! अभी तक इनकी तस्वीरों की भी आरती उतारी जा रही है। टीका-चंदन लगाया जा रहा है। कुछ लोग बैट, बाल, विकेट लेकर भगवान के सामने हैं। कुछ लोग फुल ड्रेस में (पैड, ग्लब्स, हेलमेट) हवन कर रहे हैं। एक चैनल क्रिकेट को सबसे बड़ा धर्म बता रहा है। बेशक, यह इक्कीसवीं सदी में आदमी के दिलों में उतरने की नई डोर हो सकता है। लेकिन इसमें उन्माद कई गुना ज्यादा है। मजेदार यह कि भाई लोगों ने इसमें भी धर्मनिरपेक्षता की गुंजाइश तलाश ली। मस्जिद में दुआ मांगते लोग फिल्माये गये। वे अपनी देशभक्ति को नये सिरे से दोहराते रहे। तर्ज यही कि अरे, हम लोग भारतीय हैं भाई। इंडिया की जीत की कामना रखते हैं। इसके लिए दुआ मांग रहे हैं। सेमीफाइनल के दौरान एक चैनल का रिपोर्टर महेंद्र सिंह धोनी के घर (रांची) के बाहर ओवी वैन के साथ जमा हुआ था। उसके साथ गाल पर तिरंगा बनाये कुछ बच्चे थे। स्टूडियो से सवाल पूछा जाता है-हां, तो यह बताइये कि धोनी के घर के अंदर का माहौल कैसा है? जरा, रिपोर्टर की दृष्टि देखिये। धोनी का घर बंद है। किसी को उधर जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन रिपोर्टर अपने तीसरे नेत्र से सब कुछ देख रहा है, बता रहा है-घर का माहौल बिल्कुल बढिय़ा है। धोनी के माता-पिता कामना कर रहे हैं कि उनका बेटा वल्र्ड कप जीतकर लाये। वे खूब पूजा-पाठ कर रहे हैं। ऐसी ढेर सारी बातें हैं। एक चैनल का रिपोर्टर छोटे-छोटे बच्चों से पूछता है-आपको क्या लगता है अभी श्रीलंका की टीम किस तरह का और कितना दबाव महसूस कर रही होगी? इसका कितना असर होगा? बच्चों की सांस अटकी हुई है। यह सब कुछ लाइव हुआ। अब जरा बिहार इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष हाजी रियाज अहमद आतिश की सुनिये-मैं 1987 के वल्र्ड के दौरान जमशेदपुर में नौकरी करता था। शाम में मानगो में पटाखा फूट रहा था। पता चला पहले सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से पाकिस्तान हार गया। एकाध दिन बाद आजाद नगर (मुस्लिम बस्ती) में पटाखा छोड़ा जा रहा था। पूछने पर पता चला कि मुंबई में इंग्लैंड से भारत हार गया। एक युवक का इस आतिशबाजी के बारे में तर्क था-पाकिस्तान के हारने पर पहले उन लोगों ने पटाखा छोड़ा था। वाह रे आदमी। हां, कुछ बहुत अच्छी बातें भी दिखीं। ये रोजीना खानम हैं। मायका पाकिस्तान और ससुराल भारत (पटना) में। उनकी बातें भाव-विभोर कर देतीं हैं। वे कह रहीं थीं-ाारत जीता तो समझूंगी कि मेरा देवर जीता और पाकिस्तान जीता तो मानूंगी कि भाई जीता। हां, उन्हें यह चिंता जरूर है कि भारत-पाक मैच के दौरान अपने पति और बच्चों को कैसे नार्मल रखेंगी? दोनों भारत मां के सपूत हैं। माफ करेंगे, मैं इनका नाम याद नहीं रख पाया। ये जनाब भारत-पाकिस्तान मैच के स्थायी दर्शक हैं। दुनिया के किसी भी कोने में दोनों देश भिड़ें, जनाब उस स्टेडियम में जरूर नजर आते हैं। ये मोहाली में थे। इंडिया की जर्सी पहने हुए हैं और हाथ में पाकिस्तान का झंडा लहरा रहा था। एक चैनल का रिपोर्टर उनसे बतिया रहा है। उनसे अंतिम सवाल-अच्छा बताइये कि कौन जीतेगा?Ó जनाब फरमाते हैं-जीतेगा भई जीतेगा …, नहीं बाबा किसी का नाम नहीं लूंगा। पंगा हो जायेगा। मेरी बीबी हैदराबाद (भारत) की है। बीबी से पंगा की हिम्मत किसमें है? … मैं दोनों तरफ का हूं भाई। अरे, हम लोग कब तक लड़ते रहेंगे! बूढ़ा हो गया हूं। प्यार-मोहब्बत की दुआ करता हूं। साफ-साफ यह भी दिखा कि अपनी भोजपुरी भी वल्र्ड कप में जबरदस्त घुसी है। यह भोजपुरी चैनलों का कमाल है। तरह-तरह के गाने, प्रोग्राम। अबकी तू वल्र्ड कप जीत के ले अईहऽऽ हो …। एक गाने में महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी धोनी से गुजारिश कर रही है-हमरा होली के सनेस (उपहार) में वल्र्ड कप चाहीं। एक चैनल पर राजू श्रीवास्तव शुरू थे-पहले टेस्ट मैच होता था। फिर वन डे का दौर आया। अब ट्वेंटी-ट्वेंटी भी हो रहा है। इसके बाद टेन-टेन की बारी है। फिर फाइव-फाइव (ओवर) का मैच होगा। अंत में बस टॉस से फैसला हो जायेगा। जोरदार ठहाका। कुछ समझे कि नहीं भाई जी! अरे, यह जंग नहीं है; क्रिकेट है भाई जी। इसे क्रिकेट ही रहने दीजिये।
Read Comments