Menu
blogid : 53 postid : 175

हम आजाद हैं, मुकम्मल आजाद!

फंटूश
फंटूश
  • 248 Posts
  • 399 Comments

आजादी की ढेर सारी किस्में एकसाथ दिमाग में आ रही हैं। आपसे शेयर करता हूं। अब मैंने भी मान लिया है कि वाकई हम आजाद हैं, मुकम्मल आजाद। बिल्कुल उन्मुक्त, बंधनमुक्त। तरह-तरह की आजादी है। कुछ भी बोलने, कुछ भी करने की आजादी। कर्तव्य भुला, बस अधिकार याद रखने की आजादी। सिर्फ अपने फायदे की आजादी। मुझे तो कई तरह की आजादी एकसाथ दिख रही है। पटना शहर के खुले मेनहोल में गिरकर एक बच्ची मर गयी। कौन जिम्मेदार है? वह खुद को जिम्मेदार मान रहा है? यह नये तरह की आजादी है-लापरवाही की आजादी; बिना काम वेतन लेने की आजादी। एक बेहद खास महीना बड़ी चुपके से गुजर रहा है। अगस्त, सिर्फ सावन के खत्म होने की मुनादी नहीं है कि बोलबम के बाद मुर्गा-मछली बेहिचक फ्राई करनी है। अगस्त, बिहार के उस क्रांति की प्रतीक है, जिसकी परिणति 15 अगस्त 1947 यानी आजादी के रूप में हुई। क्रांति का सबसे ज्यादा जज्बा यहीं दिखा था। शहादत का रिकार्ड। शहीदों की कोई समेकित सूची भी है? नई पीढ़ी इन्हें जानती है? सात शहीदों (सचिवालय गेट) की श्रद्धांजलि का कवरेज देख-पढ़ रहा था। शहीदों का पता नहीं, उन पर फूलमालाएं चढ़ाने वाले जरूर सुर्खियों में थे। हम शहीदों को याद करने, रखने की तारीख तय करने को आजाद हैं। यह आंख के पानी को मार देने की भरपूर आजादी है। हम नारे बदलने की आजादी हासिल कर चुके हैं। हमने अपने-अपने अंग्रेज तय करने की आजादी पाई हुई है? बस, जलेबी के लिए लाइन में खड़े होकर व एक एसएमएस ड्राफ्टिंग से आजादी का अहसास करने को आजाद हैं। डाक्टर तक के पास हड़ताल करने की आजादी है। पुलिस को गोली चलाने की आजादी है। लोकसेवक को रिश्वत लेने की आजादी है। हम गलती किसी की, सजा किसी और को देने को आजाद हैं। मैं देख रहा हूं कि दरअसल, आदमी ने आदमी न होने की आजादी अख्तियार कर ली है। जरा इस आजादी को देखिये। ये परीक्षा में चोरी के जन्मसिद्ध अधिकार से वंचित रह गये। अपना गुस्सा ट्रेन पर उतारने की आजादी दिखा रहे हैं। इस आजाद मुल्क के इस आजाद आदमी के घर में पानी नहीं आता है। वह सीधे सड़क जाम करने, अपने जैसे दूसरे आदमियों को पीटने को आजाद हैं। एक और आजादी-सड़क पर धक्का मारने वाला भाग गया। मुहल्ले की आजाद पब्लिक का गुस्सा बाकी लोग झेल रहे हैं। आदमी, भीड़ और उसका कानून को अंजाम देने को आजाद है। आदमी, अपनी जाति के अपराधी को छुड़ाने के लिए थाना पर हमला बोलने को आजाद है। गंगा को पूजने के बाद उसे प्रदूषित करने की आजादी है। समर्थक तय करने की आजादी है। बच्चों को मारकर बड़ों के कारनामों का बदला लेने की आजादी है। वायदा करने और उसे फौरन भूल जाने की आजादी है। सपनों से खेलने की आजादी है। लाशों के संतुलन की आजादी है। सहूलियत की गर्दनें चुनने की आजादी है। ये सब भी आजादी के कैटोगरी में रखे जा सकते हैं-मेरे मुहल्ले का आधा किलोमीटर नाला छह वर्ष से बन रहा है। साढ़े चार साल से पानी का पाईपलाईन बिछ रहा है। आजाद भारत का आजाद आदमी, सरकार को कोसने को खूब आजाद है। बाप रे बाप, कितना गिनायें! एक लाइन में यह कि हम आजाद हैं, मुकम्मल आजाद। कोई अपनी आंखों में पानी भरेगा? पानी बचा भी है? कुर्बानी, याद करेगा?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh