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आदमी और मुर्गा

फंटूश
फंटूश
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आदमी, मुर्गा को मुर्गा बनाने में कामयाब हुआ है। अभी तक आदमी ही मुर्गा बनता था। मेरी राय में यह आदमी की बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं तो यूरेका-यूरेका चिल्ला रहा हूं। आदमी होने के नाते आप भी ऐसा कर सकते हैं। 
आदमी ने आदमी के मार्केट में मुर्गा के दो नये ब्रांड लांच किये हैं। दो तरह का मुर्गा। यह नया मुर्गा है। स्वास्थ्य मुर्गा है। आदमी, आदमी की सेहत के लिए मुर्गे की सेहत का पूरा ख्याल रख रहा है। सिवान से रिपोर्ट आयी है कि कड़ाके की ठंड से मुर्गे- मुर्गियों के बच्चों को बचाने के लिए उनको दारू पिलायी जा रही है। आदमी, इतना उदार कभी नहीं था। भई, मैं तो आदमी की आदमीयत पर फिदा हो गया हूं।
अभी तक यह बात सामने नहीं आयी है कि दारू पीकर बड़े हुए मुर्गे के कटने के समय कैसा सीन बनता है? मुर्गा, क्या एक्ट करता है? कैसा फील करता है? उसके संगी-साथी, नाते-रिश्तेदारों का क्या री-एक्शन होता है? यह सब कुछ दिन बाद संभव है। अभी तो चूजे जवान हो रहे हैं। मस्ती में हैं। आदमी को थैंक्स दे रहे हैं। आदमी के बारे में अपनी धारणा बदल रहे हैं। चूजों को अपने बाप- दादों के इस बात पर भरोसा कम रहा है कि वे तो कटने के लिए ही धरती पर आते हैं।
ऐसी ढेर सारी बातें हैं। इन पर मजे का शोध हो सकता है। मेरी गारंटी है मजा आ जायेगा। खैर, यह सब जब होगा तब होगा। आदमी ने अभी से यह जरूर स्पष्ट कर लिया है कि दारू पीकर जवान हुए इन मुर्गों को खाते वक्त दारू की जरूरत शायद ही पड़ेगी। बस ये वाला मुर्गा खाइये, दारू की मस्ती अंडरस्टूड है। यह बोनस में होगी। मुर्गा, चाहे वह फ्राई हो-दो प्याजा हो-बिरियानी हो, बोनलेस हो, चिल्ली हो, करी हो …, साथ-साथ होगी।
यह मुर्गा ढेर सारी धारणा को शर्तिया बदलेगा। अमूमन शराब के शौकीन अपनी मस्ती के दौरान मुर्गा का इस्तेमाल शराब के साथ करते हैं। मगर मुर्गा के इस नये ब्रांड में उसके चखना होने का सिचुएशन बिल्कुल गोल हो जायेगा।
आदमी और मुर्गा का संबंध बड़ा पुराना है। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मुर्गा, गाय-कुत्ता-बकरी जैसे घरेलू जानवरों की श्रेणी में बखूबी शुमार हुआ है। आदमी, मुर्गा को बेस कर के ढेर सारी कहावतें बनाये रहा है-मुर्गा बनना, मुर्गा चाभना, मुर्गा फंसना …! ये सारी कहावतें आदमी ने आदमी के लिए बनायी हुईं हैं।
लेकिन अब जाकर आदमी, मुर्गा को मुर्गा बना पाया है। अभी तक आदमी, मुर्गा बनता रहा है। आदमी के मुर्गा बनने में मेरा व्यक्तिगत अनुभव बड़ा पुराना है। अक्सर गणित की कक्षा में मेरा मुर्गा भाव खुलेआम होता रहा। लेकिन मुर्गा कभी आदमी नहीं बनता है। वह खुद को मेनटेन रखे हुए है। मुर्गा और आदमी में बड़ा फर्क है। मुर्गा, आदमी के लिए कुर्बान हो जाता है। कभी-कहीं आदमी का मुर्गा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने का संदर्भ नहीं मिलता है।
आदमी ने कोलस्ट्राल फ्री मुर्गा भी बनाया है। यह मुर्गा का लेटेस्ट ब्रांड है। इसकी ढेर सारी खासियत है। आदमी पर इसके यूज का असर बाद में पता चलेगा। हां, एक बात अभी से तय है कि इस ब्रांड के मुर्गे को कभी हार्ट अटैक नहीं होगा। वह बिल्कुल कोलेस्ट्राल फ्री है। चलिये, आदमी बर्ड फ्लू का इलाज नहीं तलाश पाया, तो कम से उसे दिल की बीमारी से तो निजात दिला ही दी है। यह भी आदमी की मुर्गे के प्रति आदमीयत का चरम है। वाकई, आदमी बड़ा महान होता है। बड़ा उदार होता है।
दिल की बीमारी वाला आदमी बेधड़क कोलस्ट्रोल फ्री मुर्गा को चाभ सकता है। और अगर कोलस्ट्रोल फ्री प्रजाति वाले चूजे को दारू पिलाकर डेवलप किया जाये तो …! यह उन लोगों के लिए नया व लजीज प्रोडक्ट होगा, जिनको डाक्टर ने दारू की दुकान की तरफ देखने को भी मना किया हुआ है।
आदमी इधर मुर्गे पर ढेर सारा काम कर रहा है। बढिय़ा है। होना चाहिये। इस ब्रांड के ढेर सारे बाई प्रोडक्ट्स हो सकते हैं। हम इसे अंडा से भी जोड़ सकते हैं। आगे के दिनों में यह प्रोडक्ट आजमाया जा सकता-हर्बल मुर्गा। यह मुर्गा का लेटेस्ट वर्जन हो सकता है। मुर्गा को एलोबेरा खिलाकर बड़ा हुआ बताया जा सकता है। इसे आदमी की शाकाहारी जमात यूज कर सकता है।
यह आदमी के लिए भड़कने वाली बात नहीं है। मैंने सावन में शिवभक्तों को देखा है। मुर्गे, उनके बोलबम से वापस लौटने का इंतजार करते रहते हैं।
मुर्गे के इस आविष्कार में एक नेताजी ने अपना संस्मरण जोड़ा है। संदर्भ, दारू पीने वाले चूजों का है। उन्होंने कहा है-बिल्कुल सही बात है। ठंड में दारू का असर फूल-पत्तियों पर भी होता है। … मेरे यहां कुछ लोग जुटे थे। मूड में आने के बाद दो-तीन जनों को ठंड में ठिठुरते फूल के पौधों की फिक्र हुई। उन्होंने कुछ बूंदें उन पर टपका दीं। दो दिन बाद देखा कि ये पौधे अपने साथियों की तुलना में ज्यादा लहलहाये हुए हैं। बड़े-बड़े फूल खिले हैं। शोध की एक लाइन यह भी है। बाप रे, आदमी जो न करे। और क्यों न करे! उसके पास दिल है। हाथ है, जीभ है, पेट है। और ये दिल मांगे मोर …!

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