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वैलेंटाइन बाबा के बाजार में

फंटूश
फंटूश
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सीरीज गड़बड़ाया, तो प्लीज मुझे माफ करेंगे। मैंने सुना है कि आज (रविवार) हग डे था। सोमवार को किस डे हुआ। इसके बाद, यानी मंगलवार को वैलेंटाइन डे आ जायेगा। हग डे से पहले रोज डे, प्रपोज डे, चाकलेट डे, टैडी वियर डे, प्रौमिस डे मनाया जा चुका है।

मैंने यह सब रट लिया है। ये प्रेम, और प्रेमी कहलाने के लेटेस्ट स्टेज हैं। जरूरी है। पता नहीं, पत्नी कब टेस्ट लेने लगे। जब से वैलेंटाइन बाबा के प्रेम का ठेका बिहार तक विस्तारित हुआ है, प्रेम का मोर्चा अपडेट रहना मांगता है। इसके ढेर सारे फायदे हैं। ढेर सारी गुंजाइश है। उम्र मायने नहीं रखती है।

खैर, मैं एक बहस से रूबरू हूं। आप भी सुनिये। पांच- छह जने भिड़े हैं। बहस इस बात पर हो रही है कि आज (रविवार को) हग डे है या किस डे? दोनों पक्षों के पास कई तरह के तर्क हैं। कुछ तर्क तो बहुत तार्किक हैं। बड़ी लम्बी दास्तान है। इसके हर स्तर पर प्रेम की बौछार है; रसधार है। मैंने मान लिया है कि अभी जन्म लेने वाले बच्चे जब रट्टा मारेंगे, तब के फार किस ही बोलेंगे। यही सिचुएशन है। और मेरी समझ से ये ए, बी, सी, डी क्या है, हर चीज की परिभाषा बदली जा रही है। सबका लेटेस्ट माडल गढ़ा जा रहा है। यह लगातार अपडेट भी हो रहा है।

मैं प्रेम के फ्रंट पर वैलेंटाइन बाबा का कायल हूं। थैंक्स टू वैलेंटाइन बाबा। उन्होंने मेरी आंखें खोल दी है। मुझे लोअर मिड्ïल क्लास मेंटालिटी से उबार लिया है। हाई क्लास मेंटालिटी का लेटेस्ट स्वाद दिया है। अहा, यह खूब रसीला है। हिन्दुस्तनवा को इंडिया बनाने की प्रोसेस माफिक इसे मजे में चूसते रहिये, घोंटते जाइये। यह सब प्रेम के मोर्चे पर मेरे ज्ञान का नया एक्सटेंशन है। मुझे ढेर सारी नई टिप्स मिली है। नजर से नजर मिलने और …, का दिन गया; आंखों के रास्ते दिल में उतरने का तरीका अब नहीं चल रहा है। वैलेंटाइन बाबा के बाजार में प्यार का डिफरेंट स्टेज है। यहां प्यार के लिए रोज दिन कुछ न कुछ करना है। यह पूरे सात दिन का फुल पैकेज है। हर दिन का काम निर्धारित है। सबकुछ बड़ा रसीला है।

मेरी राय में इसका अगला चरण कुछ इस तरह हो सकता है। दिन, घंटों में बदलेंगे और फिर नेक्स्ट स्टेज मिनटों का होगा। इन सभी समय के लिए भी काम निर्धारित होंगे। तब किस डे इस तरह का हो सकता है। एक चैनल किस के प्रकार समझा रहा है। देखिये-चिक टू चिक, चिक टू लीप एंड लीप टू लीप (लीप लाकिंग)। ये ग्रीटिंग, अफेक्शन और न्यूसेंस के बाडी स्टेप हैं। लीप लाकिंग खुले में प्रतिबंधित है। बेचारी राखी सावंत मूर्ख पुलिस वालों को नहीं समझा पायी कि मीका ने लीप लाकिंग का क्राइम किया था। बाजार अपनी सुविधा से इसके और भी प्रकार बना सकता है। ट्रेनिंग शुरू हो सकती है। आइपीसी और सीआरपीसी में संशोधन किया जा सकता है। गदहे हैं वे शोधार्थी, जो चाकलेट को किस से ज्यादा फायदेमंद बताते हैं। कुछ दिन पहले किस विरोधियों ने अफवाह फैलायी थी-एक किस, जीवन का तीन मिनट कम करता है। अरे मूरख, वैलेंटाइन बाबा को सुनो। बाबा ने किस के लिए एक पूरा दिन बना दिया है।

अब मैंने भी मान लिया है कि अपना देश सपनों में जीता है। सपने परोसने वाले मौज में हैं। सुविधा से लिबर्टी और प्रोग्रेस की परिभाषा तय कर ली गयी है। नकल हमारे खून में है। हम अपनी चीजों को भी तभी मान्यता देते हैं, जब वह पश्चिम का सर्टिफिकेट लेकर आता है। योग, आयुर्वेद …, ढेर सारे नमूने हैं।

मुझे माफ करेंगे, थोड़ा भटक गया था। बात वैलेंटाइन बाबा की हो रही है। मटुकनाथ, लवगुरु कहलाते हैं। अब प्रेम का बाकायदा बाजार है। इसका पैकेज है। छूट है। प्रेम का अर्थशास्त्र है। मोबाइल पर थोक भाव में मेसेज है-हे, मैं हूं रिया; मुझसे प्रेम भरी बात करने के लिए ये नम्बर … पर डायल करें। चार्जेज 5 रुपये प्रति मिनट। वैलेंटाइन बाबा के बाजार में हमारे बच्चे भी खूब घूम रहे हैं। पटना सिटी के एक ज्योतिषाचार्य को पढ़ रहा था -टीन एजर्स अपने प्रिय से मिलन का भविष्य जान रहे हैं। एक चैनल पर एक ज्योतिष महाराज राशिफल के अनुसार गुलाब के रंग सुझा रहे हैं, और इसे कपड़ों के रंग से जोड़ रहे हैं। कह रहे हैं-यह सेटिंग मुनासिब रहेगी।

मैं देख रहा हूं-लव मीटर भी बन चुका है। लव मीटर, लव की मात्रा नापता है। यह सुविधा मोबाइल पर भी उपलब्ध है।

वैलेंटाइन बाबा ने बहुत कुछ एक्सपोज किया है। मुझे अपना समाज दोहरा दिखता है। एक युवक, दूसरे की बहन को अपनी प्रेमिका बनाने की ख्वाहिश रखता है मगर अपनी बहन के ऐसे ही मामले में आनर कीलिंग का अपराधी बन जाता है। अपना समाज प्रेम की इजाजत भी नहीं देता है और दहेज के पांच रुपये भी नहीं छोड़ता है। हनीमून किडनैपिंग, पुलिस की नई शब्दावली है। शादी, पुलिस थानों में भी होने लगी है। रिमांड होम (पटना सिटी) के आंकड़े चौंकाते हैं। पिछले साल की तुलना में अबकी यहां तीन गुना अधिक लड़कियां आयीं। ये सभी वैसी लड़कियां हैं, जिनका प्यार सार्थक मुकाम पाने में तड़पता रहा। यह सब ठीक वही सिचुएशन है, जैसे हम बिंदास बोल कंडोम का जुबानी नाटक करते हैं और व्यभिचार को बड़ी सहूलियत से बाजार की विसंगति बता इसके शमन के लिए जागरूकता की दरकार मानते हैं।

वैलेंटाइन बाबा के इस हफ्ते में ऐसी कई बातें हुईं हैं। बक्सर में बेटियां सड़कों पर उतरीं। वे छेड़खानी का विरोध कर रहीं थीं। एक नेताजी ने बालाओं के साथ फुल मूड में स्टेज पर डांस किया। कई आत्महत्याएं …, वैलेंटाइन बाबा का मोर्चा कई तरह की बहस की भरपूर गुंजाइश रखे हुए है।

चलिये, बहुत हुआ। अरे, प्रेम का कोई टाइम होता है; दिन होता है? यह तो जीवन भर का पैकेज है। एक-एक क्षण, एक-एक जीवन; समर्पण। चींटी का चीनी से, बीडीओ का इंदिरा आवास से, नेता का झूठ से, पुलिस का अपराधी से …, वास्तव में प्रेम अनंत है, अविरल है। इसके आकाश में सारा जहां समाया है। और आखिर में एक बार फिर से वैलेंटाइन बाबा की जय।

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