Menu
blogid : 53 postid : 308

जिंदगी के शार्टकट्स

फंटूश
फंटूश
  • 248 Posts
  • 399 Comments

मैं जब भी किसी सड़क दुर्घटना को देखता- सुनता हूं, बचपन में पढ़ी एक लाईन याद आती है। लाईन थी-आम तौर पर काहिलों का यह देश सड़क पर गजब की फुर्ती दिखाता है। यह एक साप्ताहिक पत्रिका में सड़क दुर्घटना पर छपी कवर स्टोरी की लाइन थी। मेरी उम्र के साथ यह लाइन बहुत मजबूत होती गई है। अब तो मैं महान भारतीयों के लिए कही गई इस लाइन के शब्दों को और तल्ख करने की कोशिश में हूं। मुझे सटीक शब्द नहीं मिल रहे हैं। प्लीज, कोई मेरी मदद करेगा?
आपको इसके लिए कुछ खास करने की जरूरत नहीं है। घर से आफिस जाने और फिर आफिस से घर लौटने के दौरान ट्रैफिक के अपने अनुभव से आप इन शब्दों की तलाश में मेरी मदद कर सकते हैं। आप बता सकते हैं कि काहिल और फुर्तीबाज की जगह किन शब्दों का उपयोग मुनासिब होगा?
हमलोग चूंकि बिहार में रहते हैं और बिहार क्रांति की भूमि है; यह देश-दुनिया को रास्ता दिखाता है, इसलिए यहां इन शब्दों की तलाश की भी भरपूर गुंजाइश है। आपको दिक्कत नहीं होगी। यहां रफ्तार कुछ ज्यादा तेज है। बहुत दिन से यहां नरसंहार नहीं हुए हैं, शांति है लेकिन सड़क दुर्घटना में मौत का आंकड़ा …? मेरी राय में सरकार चाहकर भी बहुत कुछ नहीं सकती है। लोग ही इतने महान हैं कि पूछिए मत!
यहां की ट्रैफिक पुलिस अपने पोस्ट पर डंडे रखती है। लोग डंडा की भाषा ही समझते हैं। बिहार रेजीमेंटल सेंटर (दानापुर) का इलाका गवाह है। यहां फुर्तीली आबादी गजब की अनुशासित रहती है। बिल्कुल कतार में, मद्धिम सी चाल में।
मेरी समझ से आदमी की आदत है। अगर उसका वश चले तो वह अपने बेडरूम में अपनी कार से घुस जाएगा। बाथरूम स्कूटर से जाएगा। मोटरसाइकिल को ड्राइंग रूम में पार्क करेगा। यही सब तो सड़क पर दिखता है। हाल के वर्षों में यहां गाडिय़ों की संख्या बहुत बढ़ी है। सड़कों का रकबा नहीं बढ़ा। हां, वे रफ्तार देने में जरूर सहायक बनीं हैं। लेकिन आदमी की मानसिकता का क्या करें? क्या कहें? बेशकीमती गाड़ी है। सवार इससे भी बेशकीमती है लेकिन बुद्धि …! इस बुद्धि का क्या करेंगे? इस आदमी का क्या करेंगे? माना कि ड्राइवर कम पढ़ा-लिखा है। लेकिन मालिक तो बगल में बैठा रहता है। सड़क सुरक्षा सप्ताह हर साल औपचारिकता के रूप में गुजर जाता है। शब्द आ रहा है दिमाग में?
मेरे एक सहयोगी बता रहे थे-अपने देश में हार्न बनाने वाली कंपनियां हैं। करोड़ों का टर्नओवर है। गाड़ी में हार्न लगा हुआ आता है। भाई लोग अलग से हार्न लगवाते हैं। प्रेशर हार्न की अलग दास्तान है। पहले हेडलाइट के शीशा के आधे भाग को काले रंग से पेंट कर दिया जाता था। अब तो इतनी सुंदर हेडलाइट वाली गाडिय़ां आ रहीं हैं कि आदमी देखते झपट्टा मारने को उद्यत सी दिखती हैं। यहां से भी आपको शब्द मिल सकते हैं।
आप शब्दों की तलाश में किसी भी सर्विस सेंटर में जा सकते हैं। आदमी होंगे, तो वाकई रो देंगे। कई बार तो सबकुछ तीन-चार दिन में ही हो जाता है। पहले दिन शोरूम से गाड़ी की खरीद, मंदिर में पूजा और मिठाई की दुकान। तीसरे-चौथे दिन अस्पताल, श्मशान घाट और फिर सर्विस सेंटर और बीमा कंपनी का चक्कर। कई गाडिय़ां तो डेंट-पेंट लायक भी नहीं बचती हैं। जब लोहा ऐसा हो जाता है, तब हाड़-मांस का आदमी …, शरीर कांप जाता है। सटीक शब्द मिला?
आदमी में गजब की ऐंठ है। टेम्पो, स्कोर्पियो से साइड लेता है। पैदल चलता आदमी धक्का मार सकता है। बाइक सवार तो बाप रे बाप! शब्द मिल रहे हैं?
मेरी समझ से आपको दुर्घटना में हाथ-पांव गवांने वालों से मिलना चाहिए? उन बच्चों से बतियाना चाहिए, जो दुर्घटना के चलते अनाथ हैं? उन औरतों से बात करके देखिये, जिन्हें रफ्तार ने विधवा बना दिया। मेरी गारंटी है कि आपको शब्द जरूर मिलेंगे।
मेरी समझ से सड़क पर रफ्तार या फुर्ती, गाड़ी के इंजन के पावर व पिक-अप से नहीं, बल्कि मिजाज से जुड़ी बात है। हर आदमी यही सोचता है कि मैं, फलां से पीछे कैसे रह जाऊं या वो हमसे आगे कैसे निकल जाएगा? यह लगभग उसी तरह का मिजाज है, जैसे जिंदगी में हारने वाला आम भारतीय क्रिकेट में टीम इंडिया की जीत में अपनी जीत देखता है और जिसने क्रिकेट जैसे सभ्य खेल को उन्मादी बना दिया है। सड़क की रफ्तार, जिंदगी का शार्टकट्स भी है, जो जीवन के हर क्षेत्र में परिलक्षित हैं। इसके लिए हर तरीका मुनासिब मान लिया गया है। वाकई, आदमी अपनी जिंदगी को कितना शार्टकट बना रहा है?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh