Menu
blogid : 53 postid : 325

पत्नी को वेतन

फंटूश
फंटूश
  • 248 Posts
  • 399 Comments

मुझको लगता है कि अब पति, खालिस पति नहीं रहेगा। सरकार, पति नामक सामाजिक/पारिवारिक संस्थान को और टैक्टिकल व टेक्निकल बना रही है। उसका टास्क बढ़ा रही है। जो अपने को लायक पति मानते हैं, वे इस सिचुएशन को गंभीरता से देखें, जानें।
दो दिन पहले की बात है। मेरी पत्नी सुबह- सुबह में बड़ी गहरी नजर से मुझको घूर रही थी। मुझे लगा वह मुझको नए सिरे से तौल रही है। मेरे अनुसार उसको लगा होगा अब भी मुझमें वजन टाइप कुछ बचा हुआ है। खैर, मेरा सिक्सथ सेंस अचानक चार्ज हुआ। मैंने याद करना शुरू किया। मैंने तो इधर कोई गलती नहीं की है। नहीं, बिल्कुल नहीं। फिर …!
उसका बाडी लैंग्वेज मुझको उसके सर्वशक्तिमान होने की गवाही दे रहा था। मुझको अपने मन को समझाने का यह लाजिक भी कुछ जंचा नहीं। वह तो उसी दिन से मेरे घर के लिए सर्वशक्तिमान है, जिस दिन उससे शादी हुई है। फिर आज उसका चेहरा कुछ ज्यादा पावरफुल लग रहा था। क्या बात है?
मैंने अपने दिमाग को राष्ट्रीय फलक वाला विस्तार दिया। मुझको लगा कि जरूर अपने महान देश ने महिला सशक्तीकरण के मोर्चे पर फिर कोई क्रांतिकारी कदम उठाया है। मैंने बिल्कुल ठीक सोचा था। चाय पीने के दौरान अखबार ने इसे पुष्ट किया। खबर छपी हुई थी-महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का प्रस्ताव है कि पत्नियों को वेतन दिया जाए। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसके अनुसार पतियों को पत्नियों के नाम बैंक में खाता खोलना है। पति को पत्नी के इस खाते में अपने वेतन का दस फीसदी हिस्सा जमा करना है। मैं पत्नी को देख रहा था, वो मुझको देख रही थी। फिर मैं आफिस निकल गया।
मैंने उसी दिन शाम को अपने दफ्तर में एक सहयोगी से पूछा-मैडम का खाता खोलवा दिए हैं? पहले तो वे चौके, फिर सबकुछ जानने के बाद बोले-अरे, मैं तो पूरा वेतन पत्नी को दे देता हूं। और वही मुझको रोज दिन के हिसाब से पैसे देती है। उन्होंने मजाकिया लहजे में जोड़ा-यह कानून तो हम पतियों के बारे में बड़ा मुनासिब रहेगा।
मैं समझता हूं कि पत्नी को जिंदगी की मालकिन समझने वाली भारतीय व्यवस्था के अधिकांश घरों में पत्नी के लिए पति दैनिक मजदूर ही होता है। यह एक लायक पति की अर्थशास्त्रीय व्याख्या है। बेचारा पति महीने भर की कमाई उसके हाथ में रख देता है और खुद डेली वेजेज के हिसाब से चाय-पान, टेंपो के लिए पैसा लेता रहता है। इतने के बावजूद रात में बेचारे की जेब चेक होती है।
मेरी राय में यह सब जेनरल पतियों की बात नहीं है। बड़े-बड़े नेता, अफसर, कारोबारी …, यानी सभी तरह के कामकाजी पति अपनी पत्नियों से बहुत गरीब हैं। बिहार सरकार की वेबसाइट पर क्रीम पति और उनकी पत्नियों की संपत्ति दर्ज है। मजे में देख लीजिए, कौन किससे कितना अमीर है? बेचारा पति, पता नहीं किन-किन संकटों से जूझते, कितना रिस्क उठाते, कितनी ही बदनामियां झेलते रुपये कमाकर लाता है और पत्नी जी …! हमेशा उनके जेवर का वजन, पति की पूरी कमाई पर भारी होती है। पति जी की कमाई अक्सर पत्नी जी के घर का उपहार बताई जाती है। यानी, कमाए पति और संपत्ति पत्नी, उसके मायके की। जमीन खरीदें पति जी और दस्तावेज में टपक जाती हैं पत्नी जी। पत्नी, चालाक पतियों की अघोषित फंड मैनेजर। पत्नी के नाम पर तो बड़े-बड़े पति अपना माल छुपाए रखने में कामयाब हो जाते हैं। बेचारे पति हमेशा सूखा रहता है।
मेरी राय में यह पतियों की आम किस्म है। कुछ पति, पत्नी को वेतन वाली प्रस्तावित व्यवस्था से बेहद खुश हैं। उनका मानना है कि दस परसेंट देकर नब्बे परसेंट का मालिक कहलाने की गुंजाइश पाई जा सकती है।
अब मुझको भी लगने लगा है कि यह देश नहीं चलेगा। वाकई सबकुछ बड़ा अजीब हो रहा है। अपने मोंटेक सिंह अहलूवालिया 32 रुपये में एक दिन गुजारने का फंडा पेश करते हैं, तो बेनी प्रसाद वर्मा कहते हैं कि महंगाई बढऩे से किसानों को फायदा होता है। अब यह पत्नियों का खाता खोलने वाली बात सामने आई है।
जहां तक मैं समझता हूं चाबी का गुच्छा घर की मालकिन होने की निशानी है। यह गुच्छा मैडम टू मैडम ट्रांसफर होती रहती है। दादी मां से मां जी, फिर भाभी मां तक …! किस पुरुष की मजाल है कि बीच में इंटरफेयर कर दे।
मैं समझता हूं कि पतियों के स्तर से पत्नियों की अहमियत वाले तमाम प्रयास अनादि काल से चले आ रहे हैं। मैं नहीं जानता कि इस कहावत की उम्र कितनी होगी? मगर है यह बड़ा पुराना। यह कुछ इस प्रकार है-सारी खुदाई एक तरफ, जोरु का भाई एक तरफ। अरे, जहां बीवी का भाई ही इस औकात में हो, वहां बीवी …! बहरहाल, चांद को शरमा देने वाले चांद (पत्नी) की दौर में पत्नी को वेतन का मसला तो भई मुझको समझ में नहीं आता है। आपको आता है? अपनी संस्कृति तो पत्नी के लिए अद्र्धांनगी वाले सिचुएशन का उपयोग करती है। जो तेरा है, सो मेरा है …, ऐसे में वेतन की बात मुनासिब है? इतना टैक्टिकल और टेक्निकल जीवन चलेगा? बाप रे, बहुत बोल लिया। अभी पत्नी जी के लिए अदद खाता खोलने की भी तैयारी करनी है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh