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नेता, नेता होता है। नेता का बीमारी से पुराना वास्ता है। नेता ढेर सारी बीमारियों का घर होता है। घर की बीमारी, गांव की बीमारी, समाज की बीमारी, राज्य की बीमारी, देश- दुनिया की बीमारी, पार्टी की बीमारी, समर्थक की बीमारी, विरोधी की बीमारी, शासन की बीमारी …, नेता तमाम तरह की बीमारी ढोता रहता है। नेता के बीमार होने का सेट फार्मेट है; समय तय है। नेता, जेल जाते बीमार पड़ जाता है। इस लाईन की बड़ी लम्बी तान है।
खैर, मेरी राय में नेता और बीमारी का दशकों पुराना संबंध आजकल चेंज ले रहा है। यह कुछ-कुछ यू-टर्न मोड में है। मैं जो बदलाव देख रहा हूं, उसमें मुझे कई नेता, पूरे डाक्टर दिख रहे हैं। कुर्ता-पायजामा वाला डाक्टर। मैं नेताओं के बारे में अपने इस ज्ञान को आपसे शेयर कर रहा हूं।
कई नेता तो इतने बड़े डाक्टर हैं कि स्पेशलिस्ट डाक्टर भी बाप-बाप बोल जाएं। डाक्टर नेता, नेता की बीमारी खूब पहचानता है। एक से एक बीमारी बताता है। नेता, चिकित्सा जगत को शोध का सब्जेक्ट दे रहा है। अहा, आदमी की इस दुनिया के लिए इन डाक्टर नेताओं का कितना महान योगदान है? कोई भी कुर्बान हो जाएगा जी! मैं तो हो गया हूं जी। मेरी समझ से यही वजह है कि संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले अपने महान भारत में नेताओं के लिए लोकसेवक शब्द का उपयोग किया गया है।
हां, तो बात डाक्टर नेताओं की हो रही थी। मैं, उस दिन लालू प्रसाद (राजद सुप्रीमो) को सुन रहा था। वे बिहार का राजपाट चलाने वालों की बीमारी बता रहे थे-मेंटल डायरिया। उन्होंने एकाध बीमार के बारे में बताया कि यह मेंटल केस है। मैं मेंटल केस तो समझता हूं मगर मेंटल डायरिया …, है कोई डाक्टर जो इस रोग का लक्षण पहचाने, इसके असर और इलाज को बताए? भई, इसकी अथारिटी तो अपने (डाक्टर) लालू प्रसाद के पास ही है। इस नई बीमारी की तलाश के लिए उनको डाक्टर की मानद उपाधि मिलनी चाहिए? मैं तो इसके पक्ष में हूं।
डाक्टर नेता, सत्ता पक्ष में भी हैं। मेरी समझ से संजय सिंह (प्रदेश मुख्य प्रवक्ता, जदयू) को भी डाक्टर की मानद उपाधि देनी चाहिए। वे लालू प्रसाद की बीमारी बता रहे हैं-लालू जी मैनिक डिप्रेसिव साइकोसिस के मरीज हैं। (डाक्टर) संजय सिंह से इस बीमारी का लक्षण सुनिए, जानिए-इसका मरीज किसी भी वाजिब बात की काट करने के क्रम में फिजूल की बातें कहकर अपने मन को शांत करता है। (डा.) संजय सिंह यह भी बता रहे हैं कि इस महान देश की जनता भी लालू जी की इस बीमारी को जान चुकी है। यही कारण है कि जब लालू जी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मोम का शेर कहते हैं, तो लोगों का जवाब होता है कि मोम से तो रोशनी होती है। यह कमोबेश उसी तरह की बात है, जैसे पटना हाईकोर्ट ने राबड़ी देवी के राजपाट को जंगल राज कहा था तो लालू जी की प्रतिक्रिया थी-मैं जंगल का राजा हूं।
कुछ और डाक्टर नेताओं को देखिए, जानिए। (डाक्टर) श्याम रजक (खाद्य आपूर्ति मंत्री) ने राजद नेताओं की बामारी पहचान ली है- ओरल डायरिया। मुंह का डायरिया। उनके अनुसार इसका बीमार एक ही झूठ को बार- बार दोहराता है। वाह-वाह! (डा.) श्याम तो डायरिया का स्पाट तक बदलने में कामयाब हैं। अभी तक इसके प्रभावित अंग के बारे में आदमी की दुनिया का ज्ञान बड़ा सीमित था।
राजद के डाक्टर नेताओं ने लगभग इसी नेचर की बीमारी पर अपने शोध के परिणाम को वर्बल डायरिया के रूप में प्रचारित किया हुआ है। उनके अनुसार सरकार में बैठे लोग वर्बल डायरिया के शिकार हैं। (डा.) संजय सिंह ने एक और बीमारी तलाश ली है-मेंटल कांस्टीपेशन। वे अभी इसके लक्षण और असर पर शोध कर रहे हैं। हां, उन्होंने इसके बीमारों को जरूर ढूंढ़ लिया है। ये राजद के लोग हैं।
मुझे यह सब इस मायने में ठीक लग रहा है कि अपने नेताओं का अपग्रेडेशन हुआ है। बीमारी की तलाश में ही सही, उनके पढऩे- लिखने; शोध करने की प्रवृत्ति जागृत हुई है। वरना अभी तक वे कुत्ता, बंदर, सांप, सांढ़, छुछुंदर, पेट में दांत, भूत-पिशाच आदि में ही फंसे थे। एक-दूसरे के लिए इन्हीं सबका उपयोग करते थे।
चलिए, अब मुझको भी लगने लगा है कि इस देश में लोकतंत्र का भविष्य बड़ा मजबूत है। नेता, भावी नेताओं की बड़ी मजबूत टोली तैयार कर रहे हैं। देखिए न, पटना विश्वविद्यालय में लोकतंत्र कैसे झूमते, बौराते हुए आ रहा है। कल के नेता खुद को आज वाले नेता का पूरा गुण चाहते हैं। आज वाले नेता, कल वाले नेता को बहुत खूब सिखा रहे हैं। इनसे प्रेरित नेताओं की नई पीढ़ी खुद को भावी नेतागिरी के लिए भरपूर ढंग से तैयार कर रही है। आखिर लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के विरोध का मतलब क्या था या है? बवाल के बाद विश्वविद्यालय के हास्टल में छापा पड़ा, तो डंडा, हाकी स्टिक के साथ बम बनाने का सामान भी मिला है। नई पीढ़ी के नेता किन-किन बीमारियों का वाहक बनेंगे, कौन-कौन सी नई बीमारियां दुनिया के सामने लाएंगे?
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