Menu
blogid : 53 postid : 404

नमोनिया और नीतीकायटिस

फंटूश
फंटूश
  • 248 Posts
  • 399 Comments

मैं अब जाना हूं कि राजीव प्रताप रूडी व मंगल पांडेय डाक्टर भी हैं। उनको केवल भाजपा नेता नहीं कहा जा सकता है। दोनों ने अपने शोध से चिकित्सा विज्ञान को अभिभूत किया है। उन्होंने नई बीमारी तलाशी है। इसका नाम नमोनिया रखा है। नमो, यानी नरेंद्र मोदी …, भाजपाई डाक्टरों ने शरियत निभाई है। उन्होंने इसका पेटेंट करा लिया है। 

नेता रूप में छुपे इन रुस्तम डाक्टरों ने इस बीमारी का लक्षण बताया है। हल्का-हल्का बुखार रहता है। बुखार से बीमार का दिमाग काम नहीं करता है। वह तमाम पुरानी बातें भूल सा जाता है। हर वैसी नई बात कहता है, जो पुरानी वाले को काटती है, खारिज करती है। वस्तुत: वह यू-टर्न मोड में आ जाता है। किसी को नहीं पहचानता है। दोस्त को दुश्मन बना लेता है। बस अपने फायदे की देखता, सोचता है। विश्वासघात करता है। उनको गालियां देता है, जिनके लिए उसकी जुबान से पहले फूल बरसते थे। डा.रूडी और डा.पांडेय ने नमोनिया के बीमारों के नाम बताए हैं। ये सभी जदयू की पहली कतार के नेता हैं।

मैं जदयू में भी एक डाक्टर, डा.संजय सिंह का शोध देख रहा हूं। आप भी देखिए, सुनिए। डा.सिंह ने भी एक नई बीमारी तलाशी है। दो दिन से चिकित्सा विज्ञान उनको सलाम कर रहा है। उनके द्वारा तलाशी गई बीमारी का नाम है-नीतीकायटिस। डा.सिंह के अनुसार यह बीमारी वैसे नेता को होती है, जो आकाश से जमीन पर सीधे टपकता है और फिर आकाश में उड़ जाता है। जदयू के डाक्क साब ने ऐसे नेताओं के लिए नई टर्मलॉजी निकाली है-पैराशूट नेता। उनके मुताबिक डा.राजीव प्रताप रूडी को नीतीकायटिस है।

डाक्क साब के शोध के अनुसार इस बीमारी का शुरुआती लक्षण इस प्रकार है। इसमें आदमी (नेता) को अपनी गलती का एहसास होने लगता है। उसकी आंखों के सामने उसका अस्तित्व खत्म हुआ दिखता है। इसको बचाने के लिए वह तरह-तरह का उपाय करता है। उसको जमीनी सच्चाई के बारे में पता नहीं होता है। वह बड़बोला हो जाता है। खूब बोलता है। पानी पी-पीकर उसको कोसता है, जिसके बूते बोलने लायक बना होता है। वह हमेशा डरता रहता है-पहले किसी बड़ा काम (विकास) से, फिर बेहतरी को अंजाम देने वाले व्यक्ति से। वह बस अफवाह फैलाता है। अपने को सही साबित करने के लिए सभी हद को पार कर जाता है। झूठ, फरेब, शातिर चाल …, उसके पोर-पोर में घुस जाती है।

मेरा, दोनों पाले के इन विलक्षण डाक्टरों से सवाल है-क्या, इस बीमारी का बीमार शेरो- शायरी खूब करता है? मैं, आजकल राजनीति में शेर का जबरदस्त यूज देख रहा हूं। ये क्या है-डाक्टर बताएंगे? शेर में सवाल-जवाब हो रहा है। कुछ अर्ज है-दुआ देते हैं जीने की, दवा करते हैं मरने की; हमने अपने खून से सींचा उनको, वो हम पे मौत का इल्जाम करते हैं; एक जरा सी बात पर वर्षों के अफसाने गए, चलो अच्छा हुआ कुछ लोग पहचाने गए; आया तो बार-बार संदेशा अमीर का, हमसे मगर न हो सका सौदा जमीर का; आया संदेशा जब तुम्हें सबसे अमीर का, झट तूने कर लिया सौदा जमीर का। वाह बिहार, आह बिहार। बीमारी में तड़पते रहो। डाक्टरी मौज में चल रही है। चलती रहेगी।

मेरी राय में डा.लालू प्रसाद और उनकी शोध के बगैर राजनीति की बीमारी व डाक्टरी की व्याख्या पूरी नहीं हो सकती है। डा.लालू ने दोनों पालों (जदयू-भाजपा) की बीमारी पहचानी है-खऊरा। डा.लालू के अनुसार पहले यह बीमारी सिर्फ कुत्ता को होती थी, अब आदमी को भी होने लगी है। यह मीठा और घी खाने से होती है। इसका बीमार खुजली करते-करते पागल सा हो जाता है। पहले वह रासलीला करता है, फिर रामलीला का सीन बनता-बनाता है। उसमें कुत्ता जैसे लक्षण आ जाते हैं। हर चीज के लिए हमेशा लड़ता है। सबकुछ हड़प लेने की मात्रा में गजब का उछाल आता है। पुराने दोस्त पक्के दुश्मन बन जाते हैं।

यह सब नई बीमारी है। कुछ दिन पहले आंख की बीमारी खूब चली थी। इस बीमारी में बीमार को राजग का विकास नहीं दिखता था। आंख का इलाज कराने की सलाह आती थी। चश्मा का नम्बर बदलने को कहा जाता था। फिलहाल यह बीमारी खत्म हुई मान ली गई है।

दुर्भाग्य है कि कोई भी डाक्टर लायक इलाज नहीं बता रहा है। यह राजनीति में डाक्टरी की अदा है। मैं डा.राजनाथ सिंह को सुन रहा था। उन्होंने नीतीश कुमार को सलाह दी है- कांग्रेस से बचकर रहिए। साफ हो जाइएगा। डा.राजनाथ के अनुसार कांग्रेस, सबसे बड़ी बीमारी है। यह धृतराष्ट्र की तरह आलिंगन करके भी मारती है और बाली की तरह सामने वाले की आधी ताकत को खुद में समाहित करके भी। बाप रे, फिर अपने महान भारत को कौन बचाएगा? कोई बताएगा?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh