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पहले दो बातें बता दूं। गोड़ का अर्थ है-पैर। और साधु जी, यानी अपने साधु यादव। दू गोड़ का अर्थ है-दो पैर वाला। यह परिभाषा आदमी के लिए इस्तेमाल होती है। यह आदमी दिखने की गारंटी है। आदमी होने की नहीं। पैरों की संख्या के हिसाब से चार गोड़ वाले का मतलब पशु या जानवर है।
मैं, उस दिन साधु जी को सुन रहा था। उन्होंने दू गोड़ (आदमी) और चार गोड़ (जानवर) की बड़ी सुंदर व्याख्या की है। साधु जी, नरेंद्र मोदी से मिलने से बाद मीडिया से मुखातिब हैं-अरे, दू गोड़ वाले को कोई बांधकर रख सकता है जी? चार गोड़ वाला तो बंधा जाता है। उनके टहलने की गति और दिशा को देखते हुए उनसे, उनकी भावी मंजिल पूछी गई थी।
मेरी राय में साधु जी ने बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने एक लाइन में सबकुछ समझा दिया है। राजनीति ही नहीं, पूरी दुनिया की दुनियादारी दू गोड़-चार गोड़ के आसपास मंडराती है।
मैं समझता हूं साधु जी का ज्ञान उनके व्यक्तिगत अनुभव से ओत-प्रोत है। असली ज्ञान वही होता है, जो जिया जाए और अनुभव आधारित होकर परम कल्याणकारी बने। साधु जी दू गोड़ वाले हैं। कहां बंधे? घर से ही निकल लिए। टहलते हुए कहां से कहां चले गए। साधु जी, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साले हैं। लालू जी उनको बांध कर नहीं रख सके। साधु जी के ज्ञान के अनुसार दू गोड़ वाला टहलते हुए बहुत दूर निकल जाता है। साधु जी सीधे कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस का खूंटा भी उनको रोक नहीं पाया। पता नहीं अब कहां जाएंगे? कांग्रेस ने उनको बाहर कर दिया है।
मैं देख रहा हूं वाकई, आदमी और जानवर में बहुत फर्क है। आदमी के पास दिमाग होता है। उसकी उप प्रजाति नेता के पास और भी बड़ा दिमाग होता है। दू गोड़ (नेता) वाला हमेशा सिर्फ अपना फायदा और सुविधा देखता है। साधु जी ने आदमी के इसी दू गोड़ टाइप प्रजाति की बात की है। उसके पास तर्क होता है। शब्द होता है। माहौल होता है। वह अपने अनुसार भी माहौल बनाता है। जुबान होती है। वह सुविधा से सपने दिखाता और तोड़ता है। वादाखिलाफी-धोखा-लंगड़ीमारी …, उसके ढेर सारे गुण हैं। वह अपने हर कर्म-कुकर्म को बस मुनासिब ही बताता है।
साधु जी के ज्ञान के बहाने हम जान सकते हैं कि दू गोड़ वाला मौके के हिसाब से बदलता है। अब साधु जी को नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी से भी अच्छा लग रहे हैं। दू गोड़ वाले की नजर सुविधा से बदलती है। साधु जी को गांव-गांव नरेंद्र मोदी की लहर दिख रही है।
साधु जी के ज्ञान का विस्तार इस प्रकार है। दू गोड़ वाला समय के अनुसार अपने मनोभाव को बदलता है। पहले साधु जी, सोनिया गांधी का नाम जपते थे। अब बोले कि कौन डरता है सोनिया गांधी से? कितने लोगों को पता है कि डा. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं? नरेंद्र मोदी को तो बच्चा-बच्चा जानता है।
साधु जी का ज्ञान कुछ और ज्ञान को खोलता है। यह राजनीति में अवसरवादिता है, तो कुर्सी के प्रति उत्कट आग्रह का प्रतीक भी। बाकी पार्टियों की तरह जदयू में भी दू गोड़ वाले हैं। उनकी, साधु जी की नरेंद्र मोदी से मुलाकात पर सुनिए-नरेंद्र मोदी के टेस्ट का पता चल गया। वो कुर्सी के लिए कुछ भी कर सकते हैं। राजद के जंगल राज, जिसके खास किरदारों में साधु यादव भी थे, के खिलाफ हमें जनादेश मिला था। आज साधु जी को भाजपा गोद में बिठा रही है। यह चर्चा गलत है?
साधु जी के बहाने यह सच्चाई खुले में आई है कि दू गोड़ वाला, दू गोड़ वाले को बर्दाश्त नहीं करता है। दू गोड़ वाला किसी भी सूरत में खुद बदनाम नहीं होना चाहता है। पहले ना-ना कहता है और फिर कबूलने की स्थिति में आ जाता है। सुशील कुमार मोदी ने साफ कह दिया है कि साधु जी के लिए भाजपा में जगह नहीं है।
कांग्रेस, साधु जी को बड़ी तामझाम से लाई थी। कहा था कि इनसे पार्टी को बड़ी ताकत मिलेगी। अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने यह कहते हुए साधु जी को निलकवा दिया कि कौन भारी नेता हमसे फिसल रहा है, जो परवाह करें? प्रेमचंद मिश्रा (प्रदेश मीडिया प्रभारी) की नरेंद्र मोदी से साधु जी के मुलाकात पर त्वरित टिप्पणी आई-जब साधु यादव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे तो भाजपा उनके आपराधिक रिकार्ड को मुद्दा बनाई थी। अब उनको साथ ले रही है। लेकिन प्रेमचंद जी यह नहीं बताते हैं कि आपराधिक रिकार्ड वाले साधु जी को उनके घर में कैसे जगह मिली? साधु जी ने यह भी समझाया है कि कैसे पार्टी में भी नेता डंप होता है?
अब जरा इस दू गोड़ वाले को देखिए, सुनिए। ये नवल किशोर यादव हैं। राजद के विधान पार्षद। एक दिन धड़ाक से नरेन्द्र मोदी को लोकप्रिय बता दिया। पार्टी से छह साल के लिए निलंबित। अब नवल जी कह रहे हैं- राजद में सिर्फ चापलूस ही रह सकते हैं। मैं फिट नहीं हूं। लालू प्रसाद व उनके बेटों से लात, जूता खाने व गाली सुनने वाले ही राजद में रह सकते हैं। राजद से यादवों को निष्कासित कर एक व्यक्ति के पाकेट की पार्टी बनाई जा रही है।
बहरहाल, आदमी को नेता का गुण बताने के लिए साधु जी का शुक्रिया। हां, एक सवाल का जवाब नहीं सूझ रहा है-आखिर अच्छा कौन है-दू गोड़ वाला कि चार गोड़ वाला?
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